लखीमपुर खीरी हिंसा: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा राजनीतिक कार्यक्रमों में सशरीर शामिल हो रहे हैं, तो यह उनकी जमानत शर्तों का उल्लंघन होगा. आशीष मिश्रा 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपियों में से एक हैं, जिसमें आठ लोगों की जान चली गई थी.


उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 25 जनवरी को आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत दी थी. सर्वोच्च अदालत ने निचली अदालत द्वारा आशीष मिश्रा पर लगाई गई अंतरिम जमानत शर्तों में ढील दी थी और उन्हें इस अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रहने के लिए कहा था. यह मामला तीन अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा से जुड़ा है जिसमें उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.


राजनीतिक कार्यक्रमों में रहें हैं हिस्सा?
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब पीड़ितों में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि आशीष मिश्रा राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं और एक कार्यक्रम में ‘ट्राइसाइकिल’ बांट रहे थे. पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, 'अगर वह सशरीर कार्यक्रमों में उपस्थित हो रहे हैं, तो निश्चित रूप से यह उल्लंघन है.'


भूषण ने दलील दी कि मिश्रा उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि वह केवल मुकदमे की सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर सकते हैं. भूषण ने कहा, 'लेकिन उन्होंने हाल ही में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया है और उत्तर प्रदेश में ट्राइसाइकिल का वितरण किया है. मुझे नहीं मालूम कि इसकी अनुमति कैसे दी जा रही है. मैं एक हलफनामा दाखिल करूंगा और दस्तावेज पेश करूंगा.'


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कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं रखा
आशीष मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा, 'मैं इतना मूर्ख नहीं हूं कि इस तरह स्वतंत्रता का उल्लंघन करूंगा.' पीठ ने भूषण से अपने आरोपों को सत्यापित करने वाला हलफनामा दाखिल करने को कहा. हालांकि, उसने आज पारित आदेश में इस बारे में कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं रखा. पीठ ने सरकारी वकील और जिला पुलिस से गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को भी कहा ताकि निचली अदालत का समय बर्बाद नहीं हो. 


सर्वोच्च अदालत ने आशीष मिश्रा को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि फरवरी में बढ़ा दी थी और अपनी रजिस्ट्री से मामले की प्रगति पर निचली अदालत से रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा था. पिछले साल 26 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने मिश्रा की जमानत शर्तों में ढील दी थी ताकि वह अपनी बीमार मां की देखभाल और अपनी बेटी के इलाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रह सकें.