लखीमपुर हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन 12 आरोपियों को नियमित जमानत दी, अदालत ने चेतावनी भी दी
इलाहाबाद होईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आरोपियों को जमानत देने के साथ ही चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा है कि अगर वे मुकदमे की सुनवाई में सहयोग नहीं करते हैं तो यह उनकी जमानत रद्द करने का आधार होगा.
Lakhimpur Violence: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को लखीमपुर हिंसा मामले के 12 आरोपियों को नियमित जमानत दे दी. इस मामले में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे पर 2021 में चार किसान प्रदर्शनकारियों और एक पत्रकार को वाहन से कुचलकर मारने का आरोप लगाया गया था.
पीठ ने सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए चेतावनी दी है कि अगर वे मुकदमे की सुनवाई में सहयोग नहीं करते हैं तो यह उनकी जमानत रद्द करने का आधार होगा. न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की पीठ ने आरोपी अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी उर्फ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, धर्मेंद्र सिंह बंजारा, आशीष पांडेय, रिंकू राणा, उल्लास कुमार त्रिवेदी उर्फ मोहित त्रिवेदी, लवकुश, सुमित जायसवाल और शिशुपाल की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया.
चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलकर मारने का आरोप
अक्टूबर 2021 में, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू पर (अब निरस्त) कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चार किसानों और एक पत्रकार को वाहन से कुचलकर मारने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने मामले की पूरी सुनवाई के बाद 18 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और मंगलवार को अदालत से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इसकी घोषणा की गई.
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अदालत में बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि मामले में 114 गवाह शामिल हैं, फिर भी अब तक केवल सात की गवाही हुई है. इसके अलावा, जुलाई 2024 में उच्चतम न्यायालय ने मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को नियमित जमानत दे दी. राज्य सरकार और शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया.
दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा कि मुकदमे को पूरा करने में समय लग सकता है और मुख्य आरोपी अब जमानत पर है और उनकी अंतरिम रिहाई के दौरान अन्य आरोपियों के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है, इसलिए आरोपी-याचिकाकर्ताओं की नियमित जमानत याचिकाएं स्वीकार की जाती हैं.