Lakhimpur Violence Case : लखीमपुर खीरी हिंसा में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा ( Ashish Mishra) के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो गया है. कोर्ट ने बेल ऑर्डर में धारा 302-120-B की धाराओं को जोड़ने के आदेश दिए है. दोनों धाराएं हत्या और आपराधिक साजिश से संबंधित हैं.


लखीमपुर पुलिस ने अदालत में दायर आरोपपत्र में लखीमपुर मामले में आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 326, 34, 427 और 120 बी के साथ-साथ धारा 3/25, 5/27 और 39 शस्त्र अधिनियम के तहत आरोप लगाए हैं.


अदालत के आदेश में आशीष मिश्रा को IPC की धारा 147 148, 149, 307, 326 और 427 के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धारा 34 और 30 के तहत आरोपों के लिए जमानत दे दी थी. हालांकि जमानत आदेश में आईपीसी की धारा 302 और 120 बी का कोई उल्लेख नहीं था. अब कोर्ट ने यह धारा जोड़ने का आदेश दे दिया है ऐसे में आरोपी के जमानत रास्ता साफ हो गया है.


पांच महीने से जेल में हैं आशीष मिश्रा
बीते साल अक्टूबर में लखीमपुर के तिकोनिया गांव में किसानों पर गाड़ी चढ़ाने के आरोप में SIT ने आशीष मिश्रा को दोषी माना और कहा कि यह सोची समझी रणनीति के तहत किया गया. पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी, जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे. 


इसके बाद पांच महीने से आशीष मिश्रा जेल में है. वहीं आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के फैसले की राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी. सुभासपा नेता ओपी राजभर ने कहा था कि आशीष मिश्रा को सिर्फ इसलिए जमानत दी गई क्योंकि वह एक मंत्री के बेटे हैं. भाजपा जानती है कि वह चुनाव हार रही है. जमानत हासिल करके ब्राह्मण वोट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.


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