Uttarakhand News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई. केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में उत्तराखंड की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना पर मुहर लगने से इसके बनाने का रास्ता साफ हो गया है. केंद्र से लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना को मंजूरी मिलने पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित क्षेत्र के लोगों ने पीएम मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का आभार व्यक्त किया है.


क्षेत्र के प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि सालों से लम्बित परियोजना पर प्रधानमंत्री ने राष्ट्र हित में निर्णय लिया है. इस परियोजना से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान सहित 6 राज्य लाभान्वित होंगे. 45 साल बाद मिली परियोजना को मंजूरी: 45 सालों से अधर में लटकी उत्तराखंड की लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना को केंद्र ने मंदूरी दे दी है. यह प्रोजेक्ट लगभग तीन दशक से रुका हुआ था. इस बांध की वजह से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के लोगों को बहुत फायदा होगा. सन 1976 में यमुना नदी पर लखवाड़ बांध बनाए जाने की परियोजना पर विचार किया गया था लेकिन किन्हीं कारणों से इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका. अब यह बांध बनाने के लिए मंजूरी दे दी गई है. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को इसकी घोषणा की. इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली के निवासियों को लाभ मिलेगा.


जानिए कब शुरू हुआ था प्रोजेक्ट


लखवाड़ बांध परियोजना को 1976 में स्वीकृति मिली. 1987 मे काम शुरू हुआ, लेकिन इसका काम 1992 में धन अभाव के कारण रुक गया था. इसी परियोजना के तहत 300 मेगावाट बिजली उत्पादन होना है. इस परियोजना में 35 परसेंट काम पूरा हो चुका है. अन्डर ग्राऊंड पावर हाऊस, सुरंगें, रोडों का काम हुआ है. इस प्रोजेक्ट को अब वन एवं पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण से भी मंजूरी मिल गई है. इस परियोजना पर केंद्रीय कैबिनेट से मुहर लग गई है, जिसके बाद इसका निर्माण कार्य दोबारा शुरू हो जाएगा. लखवाड़ परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड के देहरादून जिले के लोहारी गांव के नजदीक यमुना नदी पर 204 मीटर ऊंचा सीमेंट का बांध बनेगा. इससे यमुना बेसिन के छह राज्यों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा. इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना मे स्वीकृति मिली है, जिसके तहत 90% खर्च इस परियोजना का केंद्र सरकार देगी. बाकी 10% का खर्च 6 राज्य मिलकर अपने हिस्से के अनुसार देगें. आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने हिस्से का पैसा पहले ही केंद्र सरकार के पास जमा कर चुके है.


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