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Lal Bahadur Shastri: 57 साल बाद फिर होगी लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत की जांच?, PM मोदी से की गई मांग

Lal Bahadur Shastri Death Mystery: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 निधन हुआ था. पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद उन्होंने पद ग्रहण किया था.

UP News: देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की विदेश में मौत का रहस्य आज तक सामने नहीं आ सका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से अब एक बार फिर से लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्य को लेकर जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा (ABKM) के प्रदेश सचिव डॉक्टर मनोज श्रीवास्तव (Manoj Srivastava) ने साफ-साफ एलान कर दिया है कि जो भी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री की कथित हत्या के आरोपियों को सजा दिलाएगी, वो उसके साथ ही खड़े रहेंगे और अब वे किसी नेता के छलावे में आने वाले नहीं हैं.

महासभा के प्रदेश सचिव ने लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य सामने लाने की मांग करते हुए पीएम मोदी को पत्र भी भेजा है. गौरतलब है कि देश भर में लगभग 22 करोड़ कायस्थ समाज के लोग बताए जाते हैं. इतनी बड़ी संख्या में लोग जिस भी दल के साथ खड़े होंगे, वह सत्ता में आ सकता है. ऐसे में पीएम मोदी से उम्मीदों के साथ कायस्थ महासभा की इस मांग को लेकर अब खूब चर्चा भी होनी शुरू हो गई है.

कायस्थ आयोग के गठन की भी मांग

डॉक्टर मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें कायस्थ आयोग के प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी दी गई है. इस नाते उनका अपने समाज और संगठन के उत्थान के लिए बेहतर काम करना प्राथमिकता में है. इसको लेकर वे चाहते हैं कि सबसे पहले कायस्थ आयोग का गठन हो और लाल बहादुर शास्त्री की मौत के कारणों का जांच किया जाना उचित होगा.

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का 11 जनवरी 1966 निधन हुआ था. ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्री की पुण्यतिथि तो सालों से मनाई जा रही है लेकिन आज भी उनकी मौत का रहस्य बरकरार है. पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून, 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था. लाल बहादुर शास्त्री की मौत भारत से दूर ताशकंद में 11 जनवरी 1966 को हुई थी, उनकी मौत के रहस्य को आज भी पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सका है.

Lal Bahadur Shastri: 57 साल बाद फिर होगी लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत की जांच?, PM मोदी से की गई मांग

1966 में हुआ था लाल बहादुर शास्त्री का निधन

अपनी साफ सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री करीब डेढ़ साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके नेतृत्व में भारत ने साल 1965 की लड़ाई में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी. ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई थी.

लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्य को आज भी पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सका है. सभी के मन में उनकी मौत को लेकर कुछ रहस्यमय सवाल बने हुए हैं. सभी यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उनकी मौत कैसे हुई. शास्त्री ताशकंद में पाकिस्तान के साथ युद्ध के बाद की हालात पर समझौता करने के लिए पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान से शांति समझौते के लिए गए हुए थे. इस समझौते के लिए हुई मुलाकात के बाद कुछ ही घंटों के अंदर उनकी अचानक मौत हो गई.

कायस्थ महासभा ने पीएम मोदी को दिया अल्टीमेटम

लाल बहादुर शास्त्री की मौत को लेकर कहा गया कि हृदयाघात के कारण उनका निधन हुआ था लेकिन इससे पहले उनकी सेहत में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी. जब उनका पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो कई प्रत्यक्षदर्शियों ने उनके चेहरे और शरीर पर अप्राकृतिक नीले और सफेद धब्बे देखने का दावा किया था. इतना ही नहीं उनके पेट और गर्दन के पीछे कटने के निशान भी देखे गए थे. राजनारायण जांच समिति किसी तरह के वैध नतीजे पर नहीं पहुंची और उसकी विस्तृत रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं हो सकी. संसदीय लाइब्रेरी में भी उनकी मौत या उसकी जांच समित के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है.

अब 57 सालों के बाद एक बार फिर से अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने पीएम मोदी को अल्टीमेटम दिया है कि लाल बहादुर शास्त्री के मौत का कारण देश के समाने लाया जाए, जांच समिति जांच करके इस मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक करे. इसके अलावा कायस्थ समाज को लेकर आज तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने कोई काम नहीं किया. ऐसे में देश के 22 करोड़ कायस्थ समाज के उत्थान के लिए कायस्थ आयोग का गठन किया जाए. अगर बीजेपी सरकार ऐसा नहीं करती है तो इस बार देश के कायस्थ उनके साथ नही खड़े होंगे और वे उसी दल का साथ देंगे जो उनकी मांग पर विचार करते हुए कार्रवाई करेगा.

ये भी पढ़ें- UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का मुद्दा गरमाया, बीजेपी के इस नेता ने की मांग

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