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अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है ललितपुर का ये एतिहासिक स्थल, कभी था जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र

घूमने के लिहाज से ललितपुर में बहुत कुछ है। यहां स्थित देवगढ़ एक पर्यटक स्थल है। देवगढ़ अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है। यहां प्रतिहार, कल्चुरि और चंदेलों के शासनकाल की प्रतिमाएं और अभिलेख बिखरे पड़े हैं।

ललितपुर, एबीपी गंगा। ललितपुर मुख्यालय से महज 31 किलोमीटर दूर स्थित देवगढ़ एक पर्यटक स्थल है। देवगढ़ में विश्व विख्यात दशावतार मंदिर भी स्थित है। देवगढ़ पुरातत्वविदों का एक महत्वपूर्ण कला केंद्र है और पुरातत्व सम्पदा से सम्पन्न है। इसे बेतवा नदी का आइसलैण्ड भी कहा जाता है। बेतवा नदी के तट पर विन्ध्याचल की दक्षिण-पश्चिम पर्वत श्रृंखला पर देवगढ़ यहां का लोकप्रिय और ऐतिहासिक नगर है। यह नगर अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है। देवगढ़ में गुप्त, गुर्जर, प्रतिहार, गौंड, मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों के काल में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है। 8वीं से 17वीं शताब्दी तक यह स्थान जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था।

बताया जाता है पहले प्रतिहारों और बाद में चंदेलों ने इस पर शासन किया। देवगढ़ में ही बेतवा के किनारे यहां 41 में से बचे 31 जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं। यहां 19 मान स्तम्भ और दीवारों पर उत्कीर्ण 200 अभिलेख सहित कुल 500 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जैन मंदिरों के ध्वंसावशेष यहां बहुतायत में विद्यमान हैं। गुप्तकालीन दशावतार मंदिर भी दर्शनीय हैं। यहां प्रतिहार, कल्चुरि और चंदेलों के शासनकाल की प्रतिमाएं और अभिलेख बिखरे पड़े हैं। पुरातत्व की दृष्टि से देवगढ़ जग प्रसिद्ध है। बिखरी हुई मूर्तियों को संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है।

दशावतार मंदिर     

भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर को प्रारंभ में पंचयत्न मंदिर के नाम से जाना जाता था। गुप्त काल में बना यह मंदिर प्राचीन कला का एक उत्कृष्‍ट नमूना है। गंगा और यमुना के आकर्षक चित्र मंदिर के प्रवेश द्वार पर उकेर गए हैं। यह प्रवेश द्वार मंदिर के गर्भगृह तक जाता है। मंदिर की दीवारों के साथ बने गजेन्द्रमोक्ष, नर नारायण तपस्या और अनंतशायी विष्णु पैनल विष्णु पुराण के दृश्यों को दर्शाते हैं। मंदिर के निचले हिस्से में बनी मीनारें खासी आकर्षक हैं।

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देवगढ़ किला 

देवगढ़ किले की अपनी अलग पहचान है। किले के भीतर 9वीं और 10 वीं शताब्दी में बने जैन मंदिरों का समूह है जिसमें प्राचीन काल की कुछ मूर्तियां देखी जा सकती हैं। किले के निकट ही 5वीं शताब्दी का विष्णु दशावतार मंदिर बना हुआ है, जो अपनी सुंदर मूर्तियों और नक्काशीदार स्तंभों के लिए जाना जाता है।

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जैन मंदिर

देवगढ़ के 31 जैन मंदिर लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। विष्णु मंदिर के बाद बना यह मंदिर कनाली के किले के भीतर बने हुए हैं। यह किला एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से बेतवा नदी का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। छठी से सत्रहवीं शताब्दी तक यह स्थान जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र था। मंदिर में जैन धर्म से संबंधित अनेक चित्र बने हुए हैं।

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पुरातात्विक संग्रहालय

देवगढ़ के आसपास के एकत्रित की गई अनेक मूर्तियों को इस संग्रहालय में रखा गया है। भारतीय इतिहास की विभिन्न कलाओं को यहां संरक्षित किया गया है। देवगढ़ और आसपास की खुदाई से प्राप्त की गई अनेक मूर्तियों को यहां देखा जा सकता है।

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वन विहार

देवगढ़ मंदिर के चारो ओर घना वन है जहां के दुगर्म रास्ते ओर वन की मनमोहक छटा आपको अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। वन के भीतर कई सिद्ध गुफा है जो पत्थरों को काट कर बनाई गई है गुफा के बाहर मां सरस्वती की तस्वीर है जो 9 वी सदी की कलाकृति के दर्शन कराती है।

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शानदार झरने, कलकल करती बेतवा नदी सुंदर पक्षी आपको अपना बना लेते है,पर्यटक यहां आने के बाद यहां से जाने के लिए कई बार विचार करने पर मजबूर हो जाते है।

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