Independence Day 2022: जब दासता न स्वीकारने पर अंग्रेजों ने पंडित झुनारे रावत को लटका दिया था फांसी पर....
Lalitpur News: शहीद पंडित झुनारे रावत जो कभी अंग्रेजों की हुकूमत के आगे नहीं झुके और उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक अपना दल बना रखा था जिसमें लगभग 5000 सैनिक थे.
Lalitpur News: देश में आजादी की 75 वीं वर्षगांठ में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. यह भारत के उन वीर सपूतों को एवं शहीदों को समर्पित है जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए बलिदान देकर हम लोगों को आजादी दिलाने का काम किया है. आजादी की लड़ाई में ललितपुर भी पीछे नहीं रहा. इस महोत्सव में हम उन शहीदों को याद करेंगे जिन्होंने आजादी की लड़ाई में खुद को बलिदान कर दिया और हंसते-हंसते वह देश की आन बान और शान के लिए शहीद हो गए.
अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की
शहीद पंडित झुनारे रावत जो कभी अंग्रेजों की हुकूमत के आगे नहीं झुके और उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक अपना दल बना रखा था जिसमें लगभग 5000 सैनिक थे. अमझरा घाटी के पुलिया के पास पंडित झुनारे रावत का अंग्रेजी सेना से मुकाबला हो गया और आमने सामने की लड़ाई 2 दिन तक चलती रही. इस लड़ाई में अंग्रेज भारी पड़े और अंग्रेजी सेना ने उन्हें दबोच लिया उन पर जुल्म ढाए गए. इसके बावजूद उन्होंने अंग्रेजों की दासता स्वीकार नहीं की.
हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे
ललितपुर स्थित सुभाषपुरा में उनका शहीद स्थल बनाया गया था. वहां अंग्रेजों द्वारा उन्हें बांधकर लाया गया और पीपल के पेड़ पर झुनारे रावत को लटका कर फांसी दे दी गई,11 मार्च 1858 को अंग्रेजों द्वारा इस खुशी में मुख्यालय पर एक विजय उत्सव मनाया गया लेकिन हम उन शहीदों को कभी नहीं भूल सकते, जिन्होंने अपने प्राणों की निछावर कर हमें आजादी दिलाई है हम उनके बलिदान को शत-शत नमन करते हैं.
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