एबीपी गंगा के एस्ट्रो शो में आज पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने आज घर में दीपक जलाने के महत्व के बारे में बात की। भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्ज्वलन का अत्यधिक महत्व है। किसी भी शुभ काम में दीप जलाकर ईश्वर और भक्त के बीच मानसिक संवादों का प्रत्यक्ष साक्षी माना गया है। दीप में उपस्थित अग्निदेव के माध्यम से भक्त अपनी संवेदनाएं भेजता है। किसी भी पूजा आरंभ में सबसे पहले दीप में अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है। पूजा के अंत में देव या देवी की दीपक से ही आरती की जाती है।


दीपक में अग्निदेव के प्रकट होते ही आस पास की अशुद्धता दूर होने लगती है। इसी लिए नवरात्रि या अनेक त्योहारों में अखण्ड ज्योति जलाने का प्रावधान रहा है। कहा जाता है कि ‘जा घर दीपक न जले वह घर भूत समान’। दीपक के महत्व को आदिकाल से स्वीकार किया जा रहा है। साधक प्रार्थना करता है कि हे अग्नि देव- आपको हम सर्वप्रथम आमंत्रित करते है और आपकी स्थापना करते हैं।


आप भक्त की प्रार्थना सुनकर तुरंत पधारते हैं। यजमान की कामनाओं को सुनकर उनका संदेश देवताओं तक पहुंचाते हैं। ऋग्वेद में कहा है कि अग्निदेव यद्यपि आपका मार्ग धूम्र भरा है। आपकी उत्पत्ति घोर अंधकार के बाद होती है। किन्तु आपके प्रकट होते ही अंधकार स्वतः ही भाग जाता है। मन के अंधकार को समाप्त करने के लिए सर्वप्रथम भक्त अग्निदेव को आमंत्रित करता है। देवताओं के दूत बनकर दीपक भक्तों की प्रार्थना देवताओं तक पहुंचाते हैं। प्रभु से प्रार्थना की जाती है कि हे इष्टदेव, आप अग्नि सहित हमारे इस दीपक को ग्रहण कर तीनों लोक में व्याप्त अंधकार को दूर करें। यहां पर तीनों लोक से तात्पर्य बहुत गहरा है। एक तो धरती, आकाश और पाताल दूसरा, प्रातः माध्यान और सायं, तीसरा अभिप्राय बाल, युवा और वृद्ध अवस्थाओं से है। प्रार्थना के माध्यम से तीनों लोक को सुधारना है।


एक दीपक सभी के भीतर है, जो कि धर्मदीपक है। पहले कहते भी थे कि अधर्मी होने के बाद भी भीतर की दीपक जलते रहना चाहिए यानी अधर्म को धर्म में परिवर्तित करने वाली आत्मज्योति सदैव प्रकाशित रहें। कुछ विशेष बात है जो सभी को ध्यान रखनी चाहिए। दीपक का आसन जरूरी है। पूजा स्थल पर दीप जलाने से पहले उनके आसन की व्यवस्था करनी चाहिए। चावल, धातु के आसन के ऊपर ही दीपक को रखना चाहिए। जो देवता तक आपकी बात पहुंचा रहा हो उसके प्रति आदर का भाव रखना अतिआवश्यक है। दूत का कभी निरादर नहीं होना चाहिए।


घर में अंधकार ठीक नहीं घर के सभी स्थान को पूर्ण अंधकारमय कभी नहीं रखना चाहिए। आमतौर पर घर का कोई भी कोना ऐसा नहीं होना चाहिए जहां लगातार अंधेरा रहता हो। रात में एक बार कुछ देर के लिए पूरे घर में प्रकाश करना चाहिए ऐसी मान्यता है कि रोशनी के साथ लक्ष्मी का भी आगमन होता है।