नई दिल्ली: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने आज दिल्ली के विश्व हिंदू परिषद के केंद्रिय कार्यालय में मंदिर निर्माण सम्बंधी दिलचस्प विवरण दिए. तांबे की दस हज़ार पत्ती लगाई जाएगी. चम्पत राय ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण में खंबों को जोड़ने के लिए तांबे की दस हज़ार पत्ती लगाई जाएगी. इन पत्तियों का आकार इस प्रकार होगा-
- 18 इंच लम्बी
- 3 मिलीमीटर मोटी
- 30 मिलीमीटर चौड़ी
दो-दो इंच लंबी तांबे की दस हज़ार रॉड भी लगेगी
इसके अलावा दो-दो इंच लंबी तांबे की दस हज़ार रॉड भी लगेगी. हालांकि अभी पत्तियों और रॉड का अंतिम आकार तय होना बाक़ी है जिसे समय पर बता दिया जाएगा. ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय कहा कि जो लोग राम मंदिर के निर्माण में अपना योगदान देना चाहते हैं वो इन तांबे की पत्तियों और रॉड दे सकते हैं. उनकी दी हुई ये सामग्री सीधे मंदिर में लगा दी जाएगी. अगर कोई इन ताम्र पत्तियों पर श्री राम का नाम लिखना चाहे तो लिखवा सकता है. धन देने की स्थिति में हिंदू-मुसलमान कोई भी ऑन लाईन ट्रांसफ़र कर सकता है.
भूमि पूजन का दिन 5 अगस्त ही क्यों तय किया गया
कई भ्रांतियों को दूर करते हुए चम्पत राय ने कहा कि भूमि पूजन के लिए सिर्फ़ एक ही दृष्टि थी कि जब प्रधानमंत्री मोदी आये उस दिन भूमि पूजन होगा और वही हुआ. बाक़ी कोई बात नहीं देखी गई.
नेताओं में किसे बुलाया गया
चम्पत राय ने कहा कि आडवाणी जी मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह को स्वास्थ्य के कारण नहीं बुलाया जा सका. विनय कटियार अयोध्या में मौजूद थे लेकिन उनकी कमर में दर्द था. राजनेताओं में सिर्फ़ प्रधानमंत्री मोदी और उमा भारती मौजूद थीं.
184 संतों को बुलाया गया था
ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि दलित संत कौन है इसका सवाल उठाया गया. लेकिन हमारे लिए साधु सिर्फ़ साधु होता है दलित आदि में विभाजित नहीं होता. 36 आध्यात्मिक परम्पराओं के संतों को बुलाया गया. सभी राज्यों से साधु आए. वनवासी साधुओं को भी बुलाया गया.
तीन मुसलमानों को बुलाया गया
हैदराबाद के मुहम्मद शरीफ़ को बुलाया गया क्योंकि वो अयोध्या में लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं. उन्होंने दस हज़ार लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है. इक़बाल अंसारी को बुलाया जिन्होंने सुनी वक़्फ़ बोर्ड का रिवीज़न फ़ाईल नहीं होने दिया. इक़बाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में बाबर के नाम से कुछ नहीं बनना चाहिए वरना विवाद बढ़ेगा. पूर्व सांसद उदित राज ने बौद्ध का मसला उठाया था. उन्होंने मंदिर मामले में कोर्ट में मिडीशन करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए.
एक हज़ार साल की होगी मंदिर की आयु
मंदिर में इस तरह के पत्थर लगाए जा रहे हैं जो एक हज़ार साल तक ख़राब नहीं होंगे. मंदिर की तकनीकी बेहद एडवांस होगी. गहराई में मिट्टी की जांच और भूकंप पर पूरी रिसर्च की जा रही है.
लार्सन एंड टूब्रो को सौंपा गया है राम मंदिर निर्माण की इंजीनियरिंग का काम
लार्सन एंड टूब्रो ने योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है. दो स्थानों पर 60 मीटर गहराई और पांच जगह 40 मीटर गहराई तक की मिट्टी का सैम्पल लिया गया है. साथ ही चेन्नई आईआईटी को भेजा गया है. इसी तरह भूकंप से रक्षा संबंधी जांच भी कराई जा रही है. सोईल सेटेलिंग एक सेंटीमीटर से ज़्यादा होगा तो मंदिर बैठ जाएगा इस बात का ख़्याल रखा जा रहा है. मंदिर में लोहा नहीं लगेगा.
1200 खम्भों पर बनेगा राम मंदिर
3 एकड़ में बारह सौ पाइलिंग होगी. ये गड्ढे 1 मीटर डायमीटर और कम से कम 30 मीटर गहरे होंगे और उसमें पीसीसी होगी, ना कि आरसीसी. बारह सौ खंबों पर कम से कम दो फ़िट मोटी चट्टान सा बेस बनेगा. फिर इस पर मंदिर बनेगा.
आम लोग देख सकेंगे मंदिर निर्माण का काम, तीन साल में बनेगा मंदिर
बारह सौ खंबों को स्ट्रेंक्थ गेन करने के लिए कितना समय लगेगा ये भी देखा जाएगा. नक़्क़ाशी में भी जल्दबाज़ी नहीं हो सकती. इसलिए मंदिर निर्माण में कम से कम 36 महीना लगेगा. यानी तीन साल. चालीस महीने भी लग सकते हैं. कार्य स्थल पर व्यू कटर नहीं लगाया जाएगा. सब लोग मंदिर का काम देख सकेंगे.
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