नोएडा, बलराम पांडे। हिंदू धर्मशास्त्रों में दिवंगत शरीर के दाह संस्कार को अंतिम संस्कार नहीं माना गया है। मान्यता है कि अस्थि विसर्जन के बिना अंतिम संस्कार अधूरा होता है। यह भी कहा गया है कि मोक्ष के लिए अस्थियों का पवित्र नदियों में विसर्जन जरूरी है। कोरोना काल में लॉकडाउन के कारण दिवंगत शरीरों का दाह संस्कार तो हो गया, लेकिन श्मशान भूमि के लॉकर में बंद अस्थियां पवित्र नदियों में प्रवाहित होने का इंतजार कर रही हैं। नोएडा में फिलहाल 150 अस्थियां अंतिम निवास में पड़ी हैं। कोरोना संक्रमण से मृत लोगों की अस्थियों को नदियों में विसर्जन की अनुमति मिलेगी या नहीं, इस पर भी प्रशासन का रुख साफ नहीं है।
कोरोन संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। इससे नोएडा भी अछूता नहीं है। इस जानलेवा संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन किया गया है। लॉकडाउन में हर किसी की जिंदगी थम सी गई है। कोरोना काल में मृतकों के अंतिम संस्कार से पहले शमशान भूमि का प्रबंधन मौत के कारणों का प्रमाण मांग रहा है। सामान्य मौत पर परिजन वहां के पंडित की मदद से दाह संस्कार करा देते हैं, लेकिन कोरोना से मरने वालों के दाह संस्कार के लिए डाक्टरों का दल आगे आता है और वह वहां के पंडितों की मदद से दाह संस्कार कराता है। लॉकडाउन के कारण अस्थियों का विसर्जन भी नहीं हो पाया है। अस्थियों से नोएडा के सेक्टर-94 स्थित अंतिम निवास के सभी लॉकर फुल हो गए। फिर प्रबंधन ने नए लॉकरों का इंतजाम किया। अंतिम निवास की देखरेख करने वाले पंडित सुनील शास्त्री के मुताबिक लगभग 150 अस्थियां लॉकर में पड़ी हैं।
प्रदेश सरकार ने अब कुछ नियमों और शर्तों के आधार पर अस्थियों को नदियों में विसर्जित करने की अनुमति दी है, लेकिन कोरोना से हुई मौत के मामलों में कोई स्पष्ट नियम तय नहीं किए गए हैं। प्रशासन का रुख भी इस मामले में साफ नहीं है। जिलाधिकारी सुहास एलवाई कहते हैं कि प्रोटोकॉल के तहत जो संभव होगा, किया जाएगा। लेकिन, प्रोटोकॉल क्या है, यह अभी साफ नहीं है। नोएडा में अब तक तीन कोरोना संक्रमित लोगों का दाह संस्कार प्रशासन ने कराया है। इनमें एक का दाह संस्कार तो शनिवार को ही हुआ है। उन सभी की अस्थियां भी अंतिम निवास में ही पड़ी हैं। उन्होंने यह साफ नहीं किया कि कोरोना संक्रमण से मृत लोगों की अस्थियां नदियों में विसर्जित करने के लिए परिजनों को दी जाएंगी या नहीं। सिर्फ इतना कहा कि जो भी प्रोटोकॉल होगा, उसका पालन किया जाएगा।