मसूरी: केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत लैवेंडर के फूल की खेती के बारे में मसूरी और आसपास के क्षेत्रों में किसानों को लेकर वन विभाग द्वारा लैवेंडर की खेती को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई. जिसमें हाल में प्रधानमंत्री से प्रोग्रेसिव फार्मर का अवार्ड लेने वाले भारत भूषण ने लैवेंडर की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि, जम्मू-कश्मीर के किसानों ने मक्के की पारंपरिक खेती छोड़ पहाड़ियों के ढलान पर खुशबूदार लैवेंडर के फूल की खेती शुरू की है, जो उनके लिए अपेक्षाकृत अधिक फ़ायदेमंद होने के साथ जिले में ‘बैंगनी क्रांति’ की भी शुरुआत है. केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत लैवेंडर के फूल की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं.


महंगा बिकता है लैवेंडर का तेल 


उन्होंने कहा कि, लैवेंडर की खेती ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में बड़े आराम से की जा सकती है और इसको एक बार लगाने के बाद यह करीब 15 से 20 साल तक पेड़ जीवित रहता है. जिससे किसान बड़े आराम से इस खेती को कर सकता है. उन्होंने कहा कि, लैवेंडर से निकलने वाले तेल की बाजार में कीमत काफी ज्यादा है और ऐसे में अगर पहाड़ी क्षेत्रों में लोग लैवेंडर खासकर मसूरी और आसपास का क्षेत्र है, और यहां का मौसम स्थिति के लिए अनुकूल है, जिससे यहां के किसानों को काफी फायदा होगा.


स्लाइड शो के जरिये किसानों को दी जानकारी


इस मौके पर ज्योती मारवा ने कार्यशाला के दौरान लैवेंडर की खेती को लेकर स्लाइड शो के माध्यम से लोगों को इसकी खेती के बारे में जानकारी दी. वहीं, से बनने वाले उत्पाद तेल, शैम्पू और साबून के साथ लैवेंडर से स्वास्थ्य लाभ के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि, हाल में टिहरी लेक फ़ेस्टिवल में भी वह लैवेंडर सहित अन्य नेचुरल उत्पादों से बनने वाली चीजों को प्रदर्शित करेगी. जिसमें देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को इन नेचुरल उत्पाद से बने सामानों को देख और खरीद पाएंगे. उन्होंने कहा कि, उनके द्वारा कई सामाजिक संस्थाओं और वन विभाग के सहयोग से आसपास के क्षेत्रों में लैवेंडर व अन्य प्रजातियों के पौधे को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो सके.


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