Enforcement Directorate Investigation Against Satyendra Singh: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने एलडीए को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने के आरोपों में घिरे पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह यादव की जांच शुरू कर दी है. सत्येंद्र सिंह समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की सरकार के करीबी थे और काफी प्रभावशाली माने जाते थे. उनकी पहले से ही सीबीआई (CBI) जांच चल रही है. अब प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने एलडीए वीसी को पत्र लिखकर सत्येंद्र सिंह की तैनाती के दौरान के तमाम दस्तावेज और जानकारियां मांगी हैं. ईडी के इस कदम के बाद सत्येंद्र सिंह (Satyendra Singh) की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं.


घोटाला प्राधिकरण रख दिया था नाम 
रिटायर्ड आईएएस सत्येंद्र सिंह समाजवादी पार्टी की सरकार में खासा रसूख रखते थे. सपा सरकार से नजदीकियों के चलते सत्येंद्र सिंह को हमेशा मलाईदार तैनाती मिलती रही. एलडीए में वीसी रहने के दौरान तो उन्होंने भ्रष्टाचार की सीमाएं पार कर दी थीं. एलडीए के कर्मचारी संगठन के नेताओं ने उनकी तैनाती के दौरान एलडीए का नाम लखनऊ विकास प्राधिकरण की जगह घोटाला प्राधिकरण ही रख दिया था. सत्येंद्र सिंह के कार्यकाल के दौरान एलडीए में भूमाफियाओं और प्रॉपर्टी डीलरों का बोलबाला रहता था. 


सामने आएंगे छिपे हुए राज
एलडीए कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह का कहना है कि पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह ने भूमाफिया और प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपए की जमीनों की हेराफेरी कर एलडीए को चूना लगाया. पूर्व वीसी ने इस हेराफेरी से करोड़ों रुपए कमाए. शिव प्रताप सिंह का आरोप है कि उन्हीं की वजह से शहर अनियोजित विकास की पीड़ा झेल रहा है. पूर्व वीसी सत्येंद्र सिंह की ईडी जांच शुरू होने की जानकारी पाकर शिव प्रताप सिंह बोले कि ये जरूरी है. इससे एलडीए में हुए भ्रष्टाचार के कई और छिपे हुए राज सामने आएंगे.


पेटीकोट घोटाले ने कराई थी सरकार की फजीहत
सत्येंद्र सिंह के कार्यकाल के दौरान सितंबर 2015 में एलडीए में पेटीकोट घोटाला हुआ था जिसने एलडीए के साथ ही प्रदेश सरकार की भी फजीहत कराई थी. सत्येंद्र सिंह ने महिला कर्मचारियों को वर्दी देने का ऐलान किया था और इसके लिए एलडीए बोर्ड ने 25 लाख रुपए रुपए भी स्वीकृत किए थे. एक महिला की वर्दी पर 1950 रुपए खर्च आना था. हालांकि, जब वर्दी बांटी गई तो साड़ी के साथ पेटीकोट नहीं था. साड़ी की कीमत भी 200 रुपए से ज्यादा नहीं थी. कर्मचारी संगठन ने इस मामले में जोरदार हंगामा किया था.


पत्नी की जमीन पर अपार्टमेंट बनवाने के लिए बदल दिया था मास्टर प्लान
एलडीए के सूत्रों के मुताबिक सत्येंद्र सिंह ने ओमेक्स टाउनशिप के भीतर अपनी पत्नी के नाम से कई एकड़ जमीन खरीदी थी. वर्ष 2015 में उन्होंने पत्नी की जमीन पर 186 फ्लैट वाला अपार्टमेंट बनाने के लिए मास्टर प्लान ही बदलवा डाला था. वीसी की ताकत का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने 2021 तक के लिए बने मास्टर प्लान को 2015 में ही रिवाइज करा दिया. मास्टर प्लान में उक्त जमीन का लैंड यूज बदला गया. उन्होंने अपार्टमेंट का नक्शा पास कराया लेकिन शुल्क नहीं जमा किया था. हालांकि 2017 में सरकार बदलने के बाद उनकी इस योजना का खुलासा हुआ और तत्कालीन वीसी ने योजना निरस्त की.


खाली कर दिया था एलडीए का खजाना
पूर्व वीसी रहे सतेंद्र सिंह ने एलडीए का खजाना खाली कर दिया था. उन्होंने बिना डिमांड और सर्वे के शहर के विभिन्न इलाकों में घटिया किस्म के फ्लैट बनवा डाले. कर्मचारी, नेताओं का आरोप है कि सत्येंद्र सिंह ने कमीशनबाजी के चक्कर में निर्माण कार्य कराए और स्थानीय ठेकेदारों और फर्मों को लाभ कमवाया. उनके बनवाए फ्लैटों में आज भी लगभग 3000 फ्लैट खाली पड़े हैं.


जेपी इंटरनेशनल और जनेश्वर मिश्र पार्क के निर्माण में भी घोटाले के लगे आरोप
सत्येंद्र सिंह पर अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट जेपी इंटरनेशनल सेंटर और जनेश्वर मिश्र पार्क के निर्माण में भी घोटाले के गंभीर आरोप लगे थे जिसकी आज भी शासन स्तर पर जांच चल रही है. जेपी इंटरनेशनल सेंटर के निर्माण में 864 करोड़ रुपए खर्च हुए थे जो बजट से 2 गुना ज्यादा बताया जा रहा है. सत्येंद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होंने लगभग 40 करोड़ रुपए का गड़बड़ घोटाला किया था. जनेश्वर मिश्र पार्क के निर्माण में भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.


समायोजन के नाम पर हुआ था करोड़ों रुपए का गड़बड़झाला
एलडीए के सूत्रों के मुताबिक सत्येंद्र सिंह ने समायोजन के नाम पर भी करोड़ों रुपए का गड़बड़झाला किया था. उन्होंने भूमाफियाओं को अरबों रुपए की जमीन दे डाली. गोमतीनगर एक्सटेंशन में 3400 करोड़ रुपए के 42 प्लॉट के समायोजन के नाम पर उन्होंने तमाम रसूखदारों पर कृपा बरसाई. इन प्लाटों के समायोजन से एलडीए को सिर्फ 120 करोड़ रुपए मिले थे जबकि सत्येंद्र सिंह ने व्यक्तिगत रूप से काफी लाभ कमाया.


अपनी कोठी के व्यवसायिक इस्तेमाल को लेकर भी चर्चा में रहे
सत्येंद्र सिंह गोमतीनगर के विशालखंड स्थित अपनी आलीशान कोठी के व्यवसायिक इस्तेमाल को लेकर भी चर्चा में रहे. उन्होंने कोठी के पिछले हिस्से में बैंक खोलने के लिए तमाम अधिकारियों से संपर्क किया और एक एटीएम खुलवा दिया. कोठी पर बिना अनुमति मोबाइल टावर भी तनवा दिया. मामले का खुलासा होने पर उन्हें कदम पीछे खींचने पड़े.


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