लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। एलडीए में जिन गड़बड़ियों को लेकर डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने मुख्यमंत्री से शिकायत की थी उन सभी का जवाब एलडीए ने तैयार कर लिया है। एलडीए वीसी पीएन सिंह ने एबीपी गंगा से खास बातचीत में बताया कि उनके यहां सब नियमानुसार किया गया और जहां गड़बड़ी मिली वहां दोषियों की बर्खास्तगी तक हुई।
कमर्शियल प्लाट की नीलामी नियमानुसार, उपाध्यक्ष पास पूरा अधिकार
कमर्शियल प्लाट की नीलामी में गड़बड़ी की शिकायत पर वीसी पीएन सिंह ने कहा कि उपाध्यक्ष को नीलामी की शर्तें तय करने का अधिकार होता है। सभी बोली लगानेवालों से तीन साल का आईटीआर लिया गया। पिछले 3 साल में रियल स्टेट सेक्टर में मंदी आई है। जिसके चलते ऑक्शन में कम लोग आ रहे हैं। अगर कोई आरक्षित मूल्य से अधिक बोली लगाता है तो उच्चतम बोलीदाता को नीलामी संस्तुति समिति के अनुसार उपाध्यक्ष द्वारा उच्चतम बोली स्वीकार कर ली जाती है।
प्राधिकरण बोर्ड के अनुमोदन से हुई शान-ए-अवध की नीलामी
शान-ए-अवध को कमर्शियल प्लाट की तरह नीलाम करने पर वीसी ने कहा कि उसे 'जहां है, जैसा है'' के आधार पर ई-ऑक्शन से नीलाम किया गया। इसका अनुमोदन प्राधिकरण बोर्ड ने किया। इसके लिए शासन की सहमति की जरुरत नहीं। हालांकि हमने शासन को पूरी प्रक्रिया से अवगत कराया। व्यावसायिक संपत्ति को नीलामी से निस्तारित करने का अधिकार 2001 के एक शासनादेश से उपाध्यक्ष के पास है।
11 कंपनियों पर जुलाई से ही शुरू कर दी थी डिबार की कार्रवाई:
पारिजात, पंचशील, स्मृति, सुलभ आदि अपार्टमेंट के निर्माण में देरी के चलते 11 कंपनियों को डिबार किया गया। कंपनियों को 31 जुलाई से अक्टूबर के बीच अलग अलग आदेश से डिबार किया गया। ये संयोग है कि 13 नवंबर को एक कंबाइनड आर्डर जारी किया गया। बाद में दूसरी एजेंसियों से इन अपार्टमेंट का काम कराया। अब इन अपार्टमेंट्स में लोग रहने भी आ चुके हैं।
गलत समायोजन वाले कई आवंटन निरस्त किये
पुरानी योजनाओं में 40 वर्गमीटर प्लाट के बदले गोमतीनगर विस्तार योजना में 150 वर्गमीटर प्लाट देने का कोई मामला ढाई साल के अंदर का नहीं। पहले के जो प्रकरण सामने आये उनमे निरस्तीकरण की कार्रवाई हुई। नेहरू एन्क्लेव योजना में बोर्ड के अनुमोदन से करीब 100 आवंटियों को शारदानगर विस्तार योजना में वैकल्पिक प्लाट दिए गए।
पत्रावली गायब करने वाला बर्खास्त, रोहतास पर भी सख्ती
ट्रांसपोर्टनगर, गोमतीनगर, जानकीपुरम की पत्रावलियां गायब करने के मामले में कनिष्ठ लिपिक मुक्तेश्वरनाथ ओझा को बर्खास्त किया गया था। ऐसे कुछ ही प्रकरण जो 30 से 35 साल पुराने, संज्ञान में आने पर निस्तारित करते जा रहे हैं। रोहतास बिल्डर के मामले में भी एलडीए सख्त है। रेरा की तरफ से रोहतास के सभी प्रोजेक्ट से जुड़े आदेशों का लगातार अनुश्रवण हो रहा। एलडीए वाइस चैयरमेन ने बताया कि फ्लैटों के बकायेदार आवंटियों को अंतिम नोटिस भेजी जा चुकी है। कुछ ने पैसा जमा भी किया है।