Corruption in UP: यूपी के बस्ती जिले में लेखपाल द्वारा रिश्वत लिए जाने का मामला सामने आया है. आरोप है कि लेखपाल ने काश्तकार से रिश्वत ली. रिश्वत लेने के बाद उसका काम भी नहीं किया. इतना ही नहीं, आरोप है कि नायब तहसीलदार निखिलेश के इशारे पर लेखपाल काश्तकारों से जबरन वसूली करते हैं. लेखपाल को तहसीलदार हर्रैया ने जांच के नाम पर बचाने का जिम्मा लिया है. तहसील में घूसखोरों का मनोबल अपने चरम पर पहुंच गया है.
दरअसल, गौर क्षेत्र पंचायत के गोभिया गांव निवासी मोहम्मद अजीम ने अपने पट्टे की जमीन पर कब्जा दखल के मामले में एक एप्लीकेशन एसडीएम हर्रैया को बीते महीने दी थी. एसडीएम के आदेश के बाद नायब तहसीलदार हर्रैया निखिलेश कुमार, हल्का लेखपाल अरविंद कुमार पासवान के साथ गये. अजीम नें बताया कि ने इस दौरान लेखपाल ने पक्ष में रिपोर्ट तैयार करने के लिए 10 हजार की रिश्वत मांगी थी. जब मैने तुरन्त पैसा ना होने की बात कही तो उन्होंने अपना नम्बर देकर मुझे बाद में ‘गूगल पे’ कर देने को कहा.
अजीम के मुताबिक, उसने लेखपाल को 28 मार्च को घूस दे दी थी और काम होने का इंतजार करने लगा. तीन महीने गुजरने के बाद भी लेखपाल टाल-मटोल करता रहा. परेशान अजीम तहसील कार्यालय पहुंच गया और लेखपाल से काम न होने का कारण पूछा. लेखपाल ने कहा कि फिर और रिश्वत मांगी. अजीम का आरोप है कि लेखपाल ने नायब तहसीलदार के लिए 20 हजार रुपये रिश्वत के मांगे. रिश्वत देने पर उसके मुताबिक रिपोर्ट लगा दी जाएगी.
अजीम ने मामले की शिकायत एसडीएम सुखवीर सिंह से की. उन्होंने मामले की जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार को सौंपी. तहसीलदार नें आरोपी लेखपाल से इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए 15 दिन का समय दिया. समय सीमा समाप्त हो गई. लेखपाल को न स्पष्टीकरण देना था और ना ही दिया. कार्रवाई भी नहीं हुई.
अजीम का कहना है कि लेखपाल ने उसे धमकी दी है. लेखपाल ने कहा है कि शिकायत कर बड़ी गलती कर दी. अब तुम्हारा काम भी नहीं होगा और हमारा भी कुछ नहीं बिगड़ेगा. तहसीलदार साहब ने जिम्मा लिया है.
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