Leopard in IIT Kanpur: कानपुर में उच्च शिक्षा संस्थान आईआईटी कानपुर में तेंदुए के दिखाई देने की खबर से पूरे कैंपस में हड़कंप मचा हुआ है. कानपुर आईआईटी कैंपस प्राकृतिक जंगलों को काटकर बनाया गया है और ये परिसर जंगली क्षेत्र को भी छूता है, जिसके चलते यहां जंगली जानवरों को आय दिन देखा जाता है, लेकिन जंगली जानवरों में किसी ऐसे जानवर के दिखाई देने से यहां पढ़ाई करने वाले और काम करने वाले कर्मियों को दिक्कत नहीं होती थी, लेकिन जब खूंखार तेंदुआ के दिखाई देने की मिली तो पूरे कैंपस में हड़कंप मच गया, जिससे छात्रों से लेकर यहां काम करने वालों में दहशत का माहौल बना है.


कल आईआईटी कानपुर के आउटर क्षेत्र में गार्ड ने तेंदुए के होने की बात बताई, जिसके बाद आईआईटी प्रशासन ने आनन फानन में इसकी सूचना क्षेत्रीय वन अधिकारी को दी और इसके होने ओर उसे पकड़े जाने के लिए शिकायत की जिसके बाद टीम जांच में जुट गई है. शुक्रवार की रात को आईआईटी परिसर में बने साइंस डिपार्टमेंट के पास गार्ड ने एक तेंदुए को देखा, हालांकि ये बात महज बात ही साबित हो रही है. क्योंकि इसकी पुष्टि खुद गार्ड भी नहीं कर पाया. क्योंकि अकसर इस अतिसार में लकड़बग्घे घुमा करते हैं, लेकिन तेंदुए की खबर ने सबको हैरान और परेशान कर दिया है, जिसके बाद आईआईटी प्रशासन ने इसकी जानकारी फॉरेस्ट रेंज अधिकारी को दी.


लोगों के लिए समस्या साबित हो रहे जंगली जानवर


दरअसल पिछले साल कानपुर के नवाबगंज क्षेत्र में वी एसएस डी कॉलेज के पास भी तेंदुए को देखा गया था, जिसे पकड़ना मुश्किल साबित हुआ था. वहीं कानपुर आईआईटी में देखे गए तेंदुए को देख अब इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये वहीं तेंदुआ है जो नवाबगंज में दिखाई दिया था. हालांकि आईआईटी किनार से सभी को सतर्क रहने और आउट क्षेत्र में जाने से रोकने की सख्त हिदायत दी गई है. इससे पहले भी आईआईटी से पनकी क्षेत्र में भी गन फैक्ट्री के पास तेंदुए को देखा गया था, लेकिन जंगली इलाकों से रिहायशी क्षेत्र में दिखाई देने वाले जंगली जानवर अब लोगों के लिए समस्या साबित हो रहे हैं.


क्या बोले फॉरेस्ट रेंज अधिकारी?


फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर महेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हे जैसे ही सूचना मिली उनकी टीम आईआईटी कानपुर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी. वहीं जिस क्षेत्र में तेंदुए के होने की बात बताई गई वहां की मिट्टी में बने जानवर के पैरों के फुटप्रिंट ले लिए गए हैं, लेकिन मिट्टी गीली होने के चलते इस बात को स्पष्ट करना मुश्किल है कि जो फुटप्रिंट उन्होंने लिए हैं या जमीन पर जो निशान मिले हैं वो तेंदुए के ही हैं.


महेंद्र कुमार का कहना है कि अगर लगड़बग्घे और तेंदुए के पैरों की तुलना की जाए तो दोनों के फुटप्रिंट आपस में काफी मिलते जुलते हैं और जहां निशान बने हैं वहां मिट्टी गीली थी, जिसके चलते ये कह पाना सही नहीं होगा कि आईआईटी में मिले निशान तेंदुए के ही हैं. हालांकि इस क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरे भी लगवा दिया गए हैं, जिससे अगली बार वहां से गुजरने वाले जानवर के निशान और उसकी तस्वीर भी साफ हो सके. फिलहाल सभी को हिदायत और सतर्कता बरतने के लिए बोल दिया गया है.


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