Gorakhpur News: ITM GIDA (इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट) गीडा के चार स्टूडेंट्स ने बनाया अनोखा लाइटनिंग अरेस्टर तैयार किया है. धातु के महादेव-शेषनाग वज्रपात से लोगों की रक्षा करेंगे. आकाशीय बिजली गिरने से पहले ये यंत्र (लाइटनिंग अरेस्टर) लोगों को वज्रपात की सूचना देगा, जिससे लोग समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जा सकते हैं.
इसे बनाने में 8 दिन का समय और 10 हजार रुपए का खर्च आया है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में बढ़ रही वज्रपात की घटनाओं के दौरान होने वाली मौतों को रोकने में इस ‘लाइटनिंग अरेस्टर’ से काफी मदद मिलेगी. दूर बैठे मौसम विज्ञानी भी इसके माध्यम से लोगों को शहर और गांव में आगाह कर सकते हैं.
गोरखपुर के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के चार छात्रों साईं अंश, अंशिका, श्वेत यादव और प्रणव ठाकुर ने मिलकर इस अनोखे लाइटनिंग अरेस्टर को तैयार किया है. जहां शहर या गांव में बिजली गिरने की संभावना होगी, तो ये यंत्र स्पीकर से सचेत होने के लिए लोगों को आगाह करने लगेगा. तेज गर्जन की आवाज से ये यंत्र एक्टिव हो जाएगा, और आकाशीय बिजली को अपने भीतर समाहित कर लेगा.
महादेव और शेषनाग की धातु से बनी मूर्ति में किया तैयार
इसके लिए चारों स्टूडेंट्स ने डिवाइस को भगवान शिव यानी महादेव और शेषनाग की धातु से बनी मूर्ति में तैयार किया है. वज्रपात के समय एक्टिव होने के साथ इस यंत्र में हजारों किलोवाट बिजली उत्सर्जन होगा और ये आकाशीय बिजली को अपने भीतर समाहित कर लेगी. इस तकनीक की मदद से आकाशीय बिजली को मूर्ति के स्थान पर केंद्रित किया जा सकता हैं, ऐसा करने से आस-पास के लोगों की जान बच सकती हैं.
छात्र श्वेत यादव ने बताया कि आमतौर पर आकाशीय बिजली हरे वृक्ष, खुले स्थान और बिजली के तारों व खम्बों पर ज्यादा केंद्रित होती हैं. इनके माध्यम से आकाशीय बिजली जमीन में समा जाती हैं. यही बिजली जब किसी इंसान के ऊपर गिरती है, तो जान भी चली जाती है. यही वजह है कि बारिश के वक्त लोगों को खुले आसमान के नीचे रहने से मना किया जाता है. क्योंकि आकाशीय बिजली की चपेट में आने से उसके जानमाल का नुकसान नहीं होने पाए, लेकिन वज्रपात की सटीक सूचना और स्थान का पता नहीं होने की वजह से लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. यही सोचकर उन लोगों ने महादेव और शेषनाग की धातु की मूर्ति में इस लाइटनिंग अरेस्टर को तैयार किया है.
कैसे काम करेगा लाइटनिंग अरेस्टर?
अंशिका ने बताया मूर्ति में उन लोगों ने एक माइक सेंसर लगाया है. जो आवाज से एक्टिव हो जाता हैं और कई हजार वोल्ट का करंट उत्पन्न करने लगता है. ये करंट धातु से बनी भगवान शिव यानी महादेव व शेषनाग के आसपास उत्पन्न होता है. धातु से बनी मूर्ति आकाशीय बिजली को अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं.
इससे आस-पास के लोगों के बजाय बिजली धातु से बनी मूर्ति व उपकरण की तरफ केंद्रित होकर गिरे. छात्र साईं अंश ने बताया कि इसे बनाने 8 दिन का समय और 10 हजार का खर्च आया है. इस प्रोजेक्ट में हाई वोल्टेज ट्रांसफार्मर, 3.7 वोल्ट बैटरी, चार्जर एलईडी लाईट, मेटल, पीतल धातु, स्विच जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है.
आईटीएम गीडा के निदेशक डॉ. एनके सिंह ने बताया छात्रों ने कॉलेज के इनोवेशन सेल में इस प्रोजेक्ट का प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया है. जो वज्रपात से लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं. छात्रों के छोटे-छोटे आईडिया से ही बहुत सी समस्याओं का उचित समाधान कर सकते हैं. आज छात्र इस तरह की वैज्ञानिक सोच रखते हैं. ये एक अच्छी पहल है. इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष नीरज मातनहेलिया, सचिव श्याम बिहारी अग्रवाल, कोषाध्यक्ष निकुंज मातनहेलिया, संयुक्त सचिव अनुज अग्रवाल सहित संस्थान के सभी शिक्षकों ने छात्रों की इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की है.
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