UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में पति- पत्नी की तरह रहने पर भी दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न की धाराओं में केस चलाया जा सकता है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दहेज हत्या या दहेज उत्पीड़न से जुड़े मुकदमों के लिए वैध शादी का होना जरूरी नहीं है. अगर वयस्क जोड़े पति-पत्नी की तरह लिव इन रिलेशनशिप में साथ रह रहे हैं तो ऐसे मामले में भी दहेज उत्पीड़न की धाराओं में आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. महज लीगल मैरिज नहीं होने के आधार पर आरोपियों को छूट नहीं मिल सकती है.


यह आदेश जस्टिस राजवीर सिंह की सिंगल बेंच ने प्रयागराज के आदर्श यादव की याचिका को खारिज करते हुए दिया है. प्रयागराज के कोतवाली इलाके के रहने वाले आदर्श यादव का एक युवती के साथ प्रेम संबंध था. दोनों लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे थे. युवती आदर्श यादव के घर पर उसके साथ ही रहती थी.


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साल 2022 में आदर्श के साथ लिव इन रिलेशनशिप में  रह रही युवती का शव संदिग्ध हालत में आदर्श के घर पर ही पाया गया. आदर्श का दावा था कि मामूली कहासुनी के बाद युवती ने खुदकुशी कर ली है, जबकि युवती के परिवार वालों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आदर्श और उसका परिवार दहेज को लेकर उत्पीड़न करता था. पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद आदर्श यादव के खिलाफ दहेज हत्या और उत्पीड़न की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की थी.


आदर्श यादव ने पुलिस चार्जशीट के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था. आदर्श ने इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अर्जी दाखिल की और अपने खिलाफ चल रहे क्रिमिनल केस को रद्द किए जाने की मांग की. आदर्श यादव की तरफ से दलील दी गई कि युवती के साथ उसकी शादी नहीं हुई थी. वह उसकी पत्नी नहीं थी इसलिए दहेज हत्या के आरोप में केस नहीं चल सकता है.


हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दहेज हत्या और दहेज उत्पीड़न का केस चलाने के लिए वैध शादी का होना जरूरी नहीं है. अगर वयस्क जोड़ा लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह साथ रह रहा है तो ऐसे मामलों में भी दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या की धाराओं के तहत कार्रवाई किए जाने का प्रावधान है. हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही माना है.