Varanasi News: शराब की दुकानें खुलने के बाद उठे सवाल, मदिरालय खुल सकते हैं तो मंदिर क्यों नहीं?;मामले में सियासत तेज
शराब की दुकानें खुलने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि मदिरालय खुल सकते हैं तो मंदिर क्यों नहीं?। इस मामले पर अब सियासत भी तेज हो गई है।
वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। काशी से अब मंदिरों को भक्तों के लिए खोलने की मांग उठने लगी है। काशी विद्वत परिषद के विद्वान मानते हैं कि काशी सहित देश के अन्य हिस्सों में अगर मदिरा की दुकान खोली जा सकती हैं, तो मंदिर क्यों नहीं ? इसे लेकर विद्वत परिषद ने सरकार को पत्र भेजा है और ये मांग की है कि मंदिरों में प्रशासन भक्तों के दर्शन की व्यवस्था करे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कराए, लेकिन अब मंदिरों की व्यवस्था सुचारू की जाए। ...मदिरालय खुल सकते हैं तो मंदिर क्यों नहीं?
प्रदेश में शराब की दुकान खुली तो काशी विद्वत परिषद भड़क उठा। काशी विद्वत परिषद ने सरकार से अब मंदिरों को खुलवाने की मांग की है। परिषद के मंत्री रामनारायण द्विवेदी ने एबीपी गंगा से बातचीत में सरकार और प्रशासन से ये मांग की है कि मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने की व्यवस्था की जाए। सोशल डिस्टेंसिंग के पालन भी कराए जाने की व्यवस्था पूरी हो, लेकिन मंदिर अब खोले जाए। अपनी इस मांग के पीछे विद्वत परिषद के अपने तर्क भी है। इनकी मानें तो मदिरा से पैशाचिक प्रवृत्ति बढ़ती है, ऐसे में धर्म का मार्ग प्रमुख होता है और इसी मार्ग के माध्यम से इस लॉकडाउन में भी जिंदगी कायदे से चल पाएगी। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मंदिरों में दर्शन करें ।
...लॉकडाउन के बाद से काशी के प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन प्रतिबंधित
वाराणसी में बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, श्री संकट मोचन मंदिर, श्री दुर्गाकुंड मंदिर। इतना ही नहीं, बाबा काल भैरव मंदिर सहित सभी प्रमुख भक्ति स्थल भक्तों के लिए प्रतिबंधित हैं। प्रशासन का तर्क है कि जब भक्त दर्शन को पहुंचेंगे, ऐसे में भीड़ के चलते कोरोना का खतरा बढ़ने की आशंका है।
...फेल हुई सोशल डिस्टेंसिंग का आज सुधरा रूप दिखा
सोमवार को जब शराब की दुकानें खुली तो भारी भीड़ उमड़ पड़ी, लेकिन वाराणसी में मंगलावर को शराब की दुकानों का रूप थोड़ा सुधरा दिखा। हालांकि दुकानों से चलन के ब्रांड भी गायब दिखे, लेकिन लोग आज सावधान जरूर नजर आए। प्रशासन भी लगातार चक्रमण करता रहा। काशी विद्वत परिषद भी इसी को आधार मान रहा है कि प्रशासनिक सख्ती से जब बिगड़े रूप को सुधारा जा सकता है, तो मंदिरों में दर्शन की व्यवस्था क्यों नहीं।
...मामला ले रहा राजनीतिक रंग
मंदिरों को खोलने की मांग काशी विद्वत परिषद ने रखी, तो मामले पर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस और सपा ने भी इस मामले को आधार बना लिया है। कांग्रेस नेता अजय राय ने भी मंदिरों को खोलने की मांग का समर्थन किया है और जल्द से जल्द मंदिर खोलने की मांग की है।
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