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Lockdown Effect: 56 लाख रुपये के कर्ज तले दबा कानपुर चिड़ियाघर, जानवरों के खाने पर मंडरा रहा संकट
लॉकडाउन के दौरान बंद पड़ा कानपुर चिड़ियाघर 56 लाख रुपये के कर्ज तले दब गया है. अब तो जानवरों के खाने पर भी संकट मंडराने लगा है. चिड़ियाघर प्रशासन शासन से बजट भेजने की मांग की है.
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कानपुर, प्रभात अवस्थी: कोरोना संक्रमण काल में लगे लॉकडाउन ने हर किसी को परेशान किया. इसी बीच लंबे समय से बंद चिड़ियाघर में जानवरों के खाने पर संकट मंडरा रहा है. कानपुर चिड़ियाघर प्रशासन बीते 2 महीने से बंद होने के कारण 56 लाख रुपये के कर्ज तले दब गया है.
हालांकि, चिड़ियाघर प्रशासन लगातार शासन से बजट भेजे जाने के लिए लिख चुका है, लेकिन अभी तक किसी तरह की कोई मदद मिल नहीं पा रही है. लिहाजा जानवरों को भोजन-पानी के लिए चिड़ियाघर पर लगातार कर्ज बढ़ता ही जा रहा है.
चिड़ियाघर के डायरेक्टर सुनील चौधरी ने बताया कि कानपुर चिड़ियाघर आम दिनों में महीने का रेवेन्यू 25 से 30 लाख का होता है. जिससें जानवरों के खाने की पेमेंट और मेंटिनेंस का काम किया जाता है, लेकिन बीते लगभग 3 महीने से चिड़ियाघर पब्लिक के लिए बंद है, इस कारण रेवेन्यू शून्य हो गया है. लॉकडाउन में भी जानवरों को खाना तो खिलाना ही है, लिहाजा जो फूड सप्लाई के वेंडर हैं, उनसे क्रेडिट पर लगातार खाना चिड़ियाघर में आ रहा है. बंदी के बाद से अब तक लगभग 56 लाख रुपये का कर्ज चिड़ियाघर के ऊपर हो गया, जो वेंडरों को नहीं दिया गया है.
डायरेक्टर सुनील चौधरी ने बताया कि अभी चिड़ियाघर खुलने की उम्मीद भी नहीं है. ऐसे में कर्जा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, शासन को इसके बारे में लिखा गया है. जल्द ही कानपुर चिड़ियाघर के लिए बजट का आवंटन हो सकता है. लॉकडाउन के बावजूद चिड़ियाघर प्रशासन किसी तरह की लापरवाही नहीं कर रहा है. लगातार जो वेंडर है उनसे खाना लेकर जानवरो को खिलाया जा रहा है.
कर्मचारियों का कहना है कि हम लोग जानवरों की देखभाल कर रहे हैं. थोड़ा आर्थिक संकट जरूर है, लेकिन जानवरों के खाने में कोई कटौती नहीं की जा रही है.
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