कुशीनगर में कम्युनिटी किचन बना मजाक, समाज सेवियों के भरोसे चलता है किचन;बड़ा सवाल- कहां खर्च हो रहा है पैसा
कुशीनगर में कम्युनिटी किचन मजाक बन गया है। यहां समाज सेवियों के भरोसे कम्युनिटी किचन चलता है। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कम्युनिटी किचन के लिए शासन द्वारा भेजा गया मद और राशन कहां खर्च किया जा रहा है।
कुशीनगर, एबीपी गंगा। शासन की मंशा है कि लॉकडाउन में कोई भी व्यक्ति भूखा न रह जाए। इसके लिए हर तहसील में कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की गई है और सरकार द्वारा इसके लिए बाकायदे आपदा विभाग में पैसा भी दिया गया है, लेकिन कुशीनगर जनपद में कम्युनिटी किचन सरकार के भरोसे नहीं बल्कि समाज सेवियों के भरोसे चल रहा है।
आपको बता दें कि बीती रात कोटा से लगभग 240 छात्र त्रिपुरा जा रहे थे। इन्हें कुशीनगर जनपद में भोजन कराना था। प्रशासन ने जब इसके लिए हाथ खड़ा कर लिया तो अधिकारियों ने यह कार्य समाजसेवी राकेश जायसवाल के सिर पर थोप दिया। इसके साथ ही, बीते 25 अप्रैल को कोटा से असम जा रहे लगभग 450 छात्रों को कुशीनगर में भोजन कराने की व्यवस्था भी डीएसओ के माध्यम से पेट्रोल पम्प एसोसिएशन के द्वारा कराई गई थी। इस आयोजन में जिलाधिकारी व सांसद भी मौजूद रहे। जबकि इसमें प्रशासन का कहना है कि बच्चों को खाना खिलाने में इन लोगों का भी सहयोग रहा है अब कौन सच्चा और कौन झूठा ये तो जांच का विषय है | ऐसे में बाहर से आने वाले छात्रों या मजदूरों के लिए समाज सेवी ही सहारा बने हैं और कम्युनिटी किचन हाथी का दांत साबित हो रहा है।
सरकार के निर्देश पर राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को वापस उनके घर भेजा जा रहा है। मामला तब उलझ गया जब बीती रात त्रिपुरा के अगरतला जा रहे 240 छात्रों एवं उनके अभिवावकों के लिए कुशीनगर में खाने पीने के लिए व्यवस्था की गई। बस पहुंचने के 2 घण्टे पूर्व इसकी जिम्मेदारी प्रशासन ने समाजसेवी राकेश जायसवाल के जिम्मे थोप दी। सिर्फ इतना ही नहीं जब ये छात्र कुशीनगर पहुंचे, तो न तो इनकी कोई थर्मल स्क्रीनिंग हुई और न ही डॉक्टर की कोई टीम मौजूद रही। इसके पूर्व जब 25 अप्रैल को बच्चे आये थे तो उस समय जिलाधिकारी व सांसद मौजूद थे , लेकिन उस समय भी सभी छात्रों के खाने-पीने की जिम्मेदारी डीएसओ के माध्यम से पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य त्रिपाठी के जिम्मे सौंप दी गयी।
वहीं दूसरी तरफ योगी सरकार बार-बार यह कह रही है कि लॉकडाउन में किसी को खाने पीने जैसी समस्याएं होने पर प्रशासन इसकी व्यवस्था करेगा। सरकार के आदेश सरकारी खर्चें पर हर तहसीलों में कम्युनिटी किचन भी बनाये गए हैं, लेकिन कुशीनगर में इस समय ये किचन हाथी के दांत साबित हो रहे हैं। यहां प्रशासन कम्युनिटी किचन का सारा काम समाजसेवियों से करा रहा हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कम्युनिटी किचन के लिए शासन द्वारा भेजा गया मद और राशन कहां खर्च किया जा रहा है। वहीं, इस पर प्रशासनिक अधिकारी भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। अब इसकी सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगा। उपजिलाधिकारी कसया देशदीपक सिंह कहते हैं कि भोजन कराया जा रहा है तो इस सबंध में मीडिया से क्या बात करना है। समाजसेवी लोग अपना काम कर रहे हैं।
समाजसेवी राकेश जायसवाल कहते हैं कि राजस्थान के कोटा से त्रिपुरा जाते समय लगभग 240 बच्चे कुशीनगर आ रहे थे। उनके आने के 2 घण्टा पूर्व एसडीएम कसया का फोन आया कि इतने लोगों के लिए भोजन बनवाना है। आप व्यवस्था करिए, हम लोग रोज गरीबों को भोजन कराते हैं, इसलिए हम तैयार हो गए और पूरे 240 बच्चों और उनके परिजनों के लिए भोजन की व्यवस्था की। कम्युनिटी किचन के सवाल पर वह कहने लगे कि पता नही कहां चलता है। यहां तो केवल समाजसेवी लोग ही भोजन की व्यवस्था करते हैं। वहीं पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य त्रिपाठी कहने लगे कि 22 अप्रैल को हमारे पास डीएसओ का फोन आया कि कल 450 बच्चे कोटा से आ रहे हैं उनके भोजन की व्यवस्था करानी है तो हमारे एसोसिएशन द्वारा भोजन की व्यवस्था की गई थी। वहीं कल कोटा से त्रिपुरा जा रही छात्रा ऋतु कहती हैं कि हम कोटा से त्रिपुरा जा रहे हैं। वहां कोटा में हम लोगों की थर्मल जांच हुई थी। उसके बाद बस यहां कुशीनगर आकर रुकी है। हम लोगों को खाने -पीने की कोई दिक्कत नहीं हुई है।
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