यूपी में INDIA से टिकट के लिए सपा-कांग्रेस ही नहीं, नीतीश को भी साध रहे हैं नेता; पढ़िए इनसाइड स्टोरी
सूत्रों के मुताबिक यूपी में इंडिया गठबंधन से टिकट की चाहत रखने वाले 3 नेता नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं. ये नेता अपनी मन की बात भी बिहार के मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं.
2024 में उत्तर प्रदेश से टिकट पाने के लिए नेताओं की लॉबीबाजी तेज हो गई है. इंडिया गठबंधन से टिकट के दावेदार अखिलेश और शिवपाल यादव के साथ-साथ नीतीश कुमार को भी साध रहे हैं. कहा जा रहा है कि नीतीश के जरिए ये नेता सपा से अपनी टिकट कन्फर्म कराने की जुगत में हैं.
सूत्रों के मुताबिक यूपी में इंडिया गठबंधन से टिकट की चाहत रखने वाले 3 नेता नीतीश कुमार से मुलाकात कर चुके हैं. हाल ही में बीएसपी के अमरोहा से सांसद कुंवर दानिश अली ने पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की है. अली 2019 में सपा के सहयोग से बीएसपी के सिंबल पर जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.
यूपी में इंडिया गठबंधन से चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले नेताओं की नीतीश से मुलाकात के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं. सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर क्यों यूपी के नेता इंडिया से टिकट लेने के लिए सीधे नीतीश कुमार को साध रहे हैं?
बात पहले कुंवर दानिश अली की
पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए दानिश अली ने लिखा- नीतीश कुमार से शिष्टाचार मुलाकात की. राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न मुद्दों और देश में शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने के लिए मिलकर काम करने पर चर्चा की.
अली ने यह पोस्ट उस दिन लिखा, जिस दिन मायावती ने बिना गठबंधन चुनाव लड़ने की घोषणा की. दानिश अली 2019 से पहले एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर में थे, लेकिन चुनाव से पहले मायावती के पास आ गए.
(Photo- Danish Ali)
उस वक्त खबर आई थी कि उन्हें टिकट दिलाने के लिए देवेगौड़ा ने मायावती से बात की थी. अली ने 2019 में बीजेपी के कुंवर सिंह तंवर को करीब 70 हजार वोटों से हराया था.
दानिश अली को राजनीति विरासत में मिली है. उनके दादा कुंवर महमूद अली 1977 में हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. अमरोहा में करीब 30 प्रतिशत मुस्लिम और 17 प्रतिशत दलित वोटर्स हैं. यहां जाट और सैनी वोटरों का भी दबदबा है.
धनंजय सिंह भी को भी नीतीश का भरोसा
जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और बाहुबली नेता धनंजय सिंह भी उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है. धनंजय भी टिकट के लिए सीधे नीतीश को साध रहे हैं. धनंजय जौनपुर सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
धनंजय 2009 में बीएसपी के टिकट से इस सीट पर चुनाव भी जीत चुके हैं. सपा में अखिलेश यादव से उनकी अदावत जगजाहिर हैं. हालांकि, नीतीश जब अखिलेश से मिलने लखनऊ आए थे, तो धनंजय भी उनके साथ थे. धनंजय और शिवपाल की एक तस्वीर भी खूब वायरल हुई थी.
जौनपुर सीट से 2019 में बीएसपी के श्याम सुंदर यादव चुनाव जीते थे. उन्होंने बीजेपी के केपी सिंह को 80 हजार वोटों से हराया था.
एक पटेल नेता को भी नीतीश से उम्मीद
जेडीयू के एक पटेल नेता को भी नीतीश कुमार से बड़ी उम्मीद है. नेता मिर्जापुर से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. मिर्जापुर से अपना दल के अनुप्रिया पटेल सांसद हैं. 2019 में अनुप्रिया ने सपा के राम चरित्र निषाद को 3 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था.
मिर्जापुर कुर्मी बाहुल्य सीट है और 2009 के बाद से इस सीट पर पटेल नेता ही सांसद चुने गए हैं. कुर्मी के बाद इस सीट पर 17 प्रतिशत वैश्य मतदाता है. कुर्मी और वैश्य के अलावा मुस्लिम और ब्राह्मण वोटरों का भी दबदबा है.
सीधे नीतीश को क्यों साध रहे हैं टिकट के दावेदार?
नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं. हर राज्य के सीट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका भी रहने वाली है. यूपी में सपा, कांग्रेस और आरएलडी के बीच सीट बंटवारा फाइनल नहीं हुआ है. ऐसे में बाहरी दावेदारों के लिए किसी एक नेता को साधना रिस्की फैसला हो सकता है.
मान लीजिए, अखिलेश को कोई बाहरी दावेदार साधे और सीट कांग्रेस के खाते में चला जाए, तो फिर क्या होगा? इसलिए दावेदार नीतीश को साधने में जुटे हैं. बंटवारे के वक्त नीतीश अगर नाम की पैरवी करते हैं, तो टिकट मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएगी.
नीतीश पहले ही सिर्फ जिताऊ को टिकट मिलने की बात कह चुके हैं. जेडीयू जानकारों का कहना है कि नीतीश अगर किसी नाम की पैरवी करेंगे, तो शायद ही कांग्रेस और अखिलेश उसका विरोध करे.
वहीं नीतीश के फूलपुर से चुनाव लड़ने की भी बात कही जा रही है. सपा चाहती है कि नीतीश सीधे मैदान में उतरे, जिससे कुर्मी वोटरों को साधा जा सके. नीतीश दरबार में दावेदारों के पहुंचने की यह भी एक बड़ी वजह है.
नीतीश अगर लोकसभा का चुनाव फूलपुर से लड़ते हैं, तो यह इंडिया गठबंधन का एक बड़ा संकेत होगा. फूलपुर से पूर्व पीएम वीपी सिंह और जवाहरलाल नेहरू चुनाव लड़ चुके हैं.
यूपी में सीट बंटवारे का क्या हो सकता है फॉर्मूला?
2024 में पहली बार समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी. सीट बंटवारे में कांग्रेस का दावा 2009 वाला है. 2009 में कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, कांग्रेस इसके बाद 2 से ज्यादा सीटों पर कभी नहीं जीत पाई.
2019 के चुनाव में कांग्रेस ने रायबरेली सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि अमेठी, कानपुर और फतेहपुर सीकरी में दूसरे नंबर पर रही थी. यानी कुल 4 सीटों पर कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबला हुआ था.
2019 में सीतापुर सीट से दूसरे नंबर पर रहने वाले बीएसपी के नकुल दुबे भी कांग्रेस में आ चुके हैं. इस हिसाब से 5 सीटों पर कांग्रेस के पास मजबूत उम्मीदवार हैं. कांग्रेस की नजर गाजियाबाद, बिजनौर, जालौन और कुशीनगर सीट पर भी है.
सपा कांग्रेस को 10-12 सीटें दे सकती हैं. इनमें अमेठी, रायबरेली और वाराणसी की सीट भी शामिल हैं. पश्चिमी यूपी की पार्टी आरएलडी को समझौते के तहत 5 सीटें मिल सकती है.