Varun Gandhi News: उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट पिछले काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई हैं. बुधवार को योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद ने बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया, इस दौरान उनके साथ बीजेपी के कई नेता मौजूद रहे. लेकिन, मौजूदा सांसद वरुण गांधी नहीं दिखे.


बीजेपी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है. बुधवार को वरुण गांधी पीलीभीत में नही थे और तमाम अटकलों के बावजूद उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल नहीं किया.


वरुण गांधी नहीं दिखाई दिए
प्रसाद के वकील सरोज कुमार बाजपेयी ने पीटीआई को बताया कि उनके नामांकन पत्र में चारों विधानसभाओं के भाजपा विधायक संजय गंगवार, बाबूराम पासवान, विवेक वर्मा और स्वामी प्रकाशानंद प्रस्तावक थे. नामांकन के दौरान वरुण गांधी मौजूद नहीं थे और स्थानीय नेता उनकी अनुपस्थिति के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं.


पीलीभीत सीट पर पिछले चार लोकसभा चुनावों से भाजपा का ही कब्जा है. वर्तमान में वरुण गांधी यहां से सांसद हैं. प्रसाद ने 2004 में कांग्रेस के टिकट पर शाहजहांपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीता था और 2009 में वह धौरहरा सीट से जीते थे और तत्कालीन कांग्रेस सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए थे.


वरुण गांधी पर क्या बोले योगी के मंत्री
पार्टी के वरिष्ठ नेता और योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "वरुण गांधी हमारे नेता हैं और पार्टी उनका इस्तेमाल अन्य जगह पर करेगी." वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने मंगलवार को संभल में पत्रकारों से बातचीत में भी कुछ इसी तरह की बात कही. उन्होंने कहा, "वरुण गांधी एक वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी जल्द ही उन्हें कुछ जिम्मेदारियां सौंपेगी."


पीलीभीत सीट 1996 से लगातार मेनका गांधी या उनके बेटे वरूण गांधी के पास रही है. इससे पहले मेनका 1989 में भी जनता दल के टिकट पर यहां से जीत दर्ज कर चुकी हैं. हालांकि 1991 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.


मेनका ने जनता दल के टिकट पर 1996 में इस सीट पर दोबारा निर्वाचित घोषित हुई थीं. इसके बाद 1998 और 1999 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जबकि 2004 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर पीलीभीत सीट जीती थी. मेनका के बेटे वरुण गांधी यहां से 2009 और 2019 में भाजपा के टिकट पर जीते थे. 


UP Politics: BJP सांसद वरुण गांधी के पास क्या है विकल्प, क्या दे रहे हैं संकेत?