Lok Sabha Election 2024 UP: अलीगढ़ लोकसभा पर सियासी पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है. सपा ने जाट चेहरे बिजेंद्र चौधरी पर दांव लगाया है, जिसके बाद बीजेपी की मुश्किल बढ़ सकती है. बीजेपी से यहां पिछले दो बार ब्राह्मण चेहरे सतीश गौतम जीतते आ रहे हैं इस बार भी पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे को उतारने की तैयारी है. ऐसे में जाट बिरादरी की अनदेखी भारी पड़ सकती है. 


समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ लोकसभा के साथ मिनी छिपरौली का विशेष ध्यान रखा है. जहां सबसे ज्यादा जाट वोट बैंक है यही कारण है सपा ने इस बार जाट प्रत्याशी चौधरी बिजेन्द्र चौधरी पर दांव लगाया है. बिजेंद्र चौधरी 2021 में कांग्रेस से नाराज होकर सपा में शामिल हो गए थे. 


माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सपा से छिटक रहे जाट वोट बैंक को साधने के लिए उन्हें प्रत्याशी बनाया है. जनपद अलीगढ़ में इगलास, खैर और बरौली जाटलैंड कहे जाते हैं. यहां जाट समाज को निर्णायक की भूमिका भी माना जाता है. चौधरी बिजेंद्र सिंह सपा की हार के उस सूखा को खत्म करने में कामयाब हो सकते हैं जिसकी पार्टी ने आज तक उम्मीद भी नहीं की होगी.


बीजेपी के लिए कैसे बढ़ेगी मुश्किल?
अलीगढ़ में बीते वर्ष हुए शराब कांड में कई लोगों की जान चली गई थी, जिसका जिम्मदार जेल में बंद जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदारों में से एक अनिल चौधरी व उनके अन्य साथियों को बनाया गया था. इसके बाद अनिल चौधरी के समर्थन में बड़ी संख्या में जाट उतर आए थे. 


अलीगढ़ में इसे लेकर एक बड़ा प्रदर्शन भी हुआ. संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पंजाब-हरियाणा सहित अन्य जगह के किसान नेताओं के द्वारा पींजरी के ढांढ में महापंचायत की गई थी और बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. किसान संयुक्त मोर्चा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपने प्रत्याशी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए बेकसूर अनिल चौधरी को फंसाया था. 


जाट समुदाय लगातार अनिल चौधरी को जेल से छुड़ाने और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं.लेकिन, प्रशासन के द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया. प्रशासन ने आश्वासन धरना तो खत्म करवा दिया लेकिन इसकी वजह से जाट बिरादरी खासी नाराज है. ऐसे में जाट एकजुट होकर चौधरी विजेंद्र सिंह की ओर जा सकता है. ऐसा हुआ तो बीजेपी का नुकसान होना तय है. 


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