लखनऊ, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनाव 2019 के एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पर योगी सरकार की गाज गिरी है। राजभर को योगी कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया है। योगी सरकार द्वारा राजभर की बर्खास्ती को लेकर राज्यपाल से सिफारिश की गई थी। इस सिफारिश के एक घंटे के अंदर राजभर को बर्खास्त कर दिया गया।





बता दें कि सुभासपा अध्यक्ष राजभर एनडीए का हिस्सा थे। वहीं, यूपी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण व दिव्यांग जन कल्याण मंत्री थे। राजभर की बर्खास्ती के साथ ही पार्टी के अन्य सदस्य जो विभिन्न निगमों और परिषदों में अध्यक्ष व सदस्य हैं, उन्हें भी तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।



योगी सरकार के फैसले पर राजभर ने क्या कहा


योगी सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए राजभर ने कहा कि जितने तेजी से आपने ये फैसला लिया, उतनी ही तेजी अन्य फैसला लेने में भी लेते। राजभर ने कहा, 'हम उनके फैसले का स्वागत करते हैं। सीएम ने बहुत अच्छा फैसला लिया है। उन्होंने सामाजिक न्याय समिति का गठन किया और अपनी रिपोर्ट को कूड़ेदान में फेंक दिया, उनके पास इसे लागू करने का वक्त नहीं था। जितनी तेजी उन्होंने आज का फैसला लेने में दिखाई, मैंने उनसे अनुरोध करता हूं कि उतनी ही तेजी से सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू कराए।'





बीजेपी में जो गुलाम बनकर रहेगा, वो ही रह पाएगा : राजभर

बर्खास्तगी पर एबीपी गंगा ने ओमप्रकाश राजभर से बात की। इस दौरान राजभर ने बीजेपी को पूंजीपतियों की पार्टी बताया। उन्होंने बीजेपी का घेराव करते हुए कहा कि बीजेपी में जो गुलाम बनकर रहेगा वो ही रह पाएगा, अपने अधिकार की आवाज उठाने वाले को कुचल दिया जाता है। राजभर ने कहा कि दलितों और पिछड़ों की आवाज उठाने का खामियाजा भुगत रहा हूं। उन्होंने कहा कि अब बर्खास्तगी के बाद हम अकेले ही पिछड़ों और दलितों की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हमने चुनाव में अपने चुनाव चिन्ह पर लड़ने के लिए एक सीट मांगी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कैबिनेट में रहते हुए सरकार ने हमेशा मेरी बेइज्जती की है। राजभर ने कहा कि हमने उत्तर प्रदेश में शराबबंदी लागू करने की मांग रखी। हमारा कहना है कि बिहार और गुजरात में शराब बंदी तो यूपी में योगी सरकार शराबबंदी क्यों नहीं लागू कर पा रही है।


विचित्र प्राणी से छुटकारा मिला : महेंद्र नाथ पांडेय

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा है कि बीजेपी गठबंधन धर्म निभाने व अपने सहयोगियों का पूरा सम्मान एवं भागेदारी करने वाला दल है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में हमारे गठबंधन सहयोगी रहे श्रीमान ओमप्रकाश राजभर ने हर कदम पर गठबंधन धर्म की मर्यादा का न केवल उल्लंघन किया बल्कि उसे तार-तार भी किया। इसलिए पार्टी और सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ को सख्त निर्णय लेने पर विवश होना पड़ा है। डॉ पांडेय ने कहा कि पिछड़ावर्ग कल्याण और दिव्यांग जनकल्याण मंत्री श्री ओम प्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्णय स्वागत योग्य है।


2017 विधानसभा चुनाव में साथ थे, 2019 में राहें हुईं जुदा


बता दें कि उत्तर प्रदेश में राजभर की सुभासपा बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में उसने चार सीटें जीती थीं, लेकिन लोकसभा चुनाव 2019 राजभर की पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ा। सुभासपा ने बीजेपी के खिलाफ मैदान में अपने 39 उम्मीदवार उतारे, वहीं कुछ सीटों पर उन्होंने बीजेपी उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार भी किया था।


गौरतलब है कि बीजेपी और सुभासपा के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुई जंग चुनाव प्रचार से लेकर मतदान संपन्न होने तक नजर आई। बीजेपी और सुभासपा के बीच रार की वजह सीट बंटवारा रहा। कहा जा रहा था कि राजभर ने बीजेपी से दो सीटें मांगीं थी। बीजेपी ने घोसी लोकसभा सीट से उनके बेटे अरविंद राजभर को अपने टिकट पर चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था। इस पर सुभासपा को एतराज था। उसने आरोप लगाया कि  बीजेपी उनकी पार्टी का अस्तित्व ही खत्म करना चाहती है। इन्हीं सब रार के बीच 13 अप्रैल को राजभर ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री योगी को सौंप दिया। हालांकि, उनके इस्तीफे को मंजूर नहीं किया गया।


इसके बाद राजभर ने बीजेपी के खिलाफ 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतार दिए। यहां तक की जहां-जहां उनके उम्मीदवारों का पर्चा खारिज हुआ, वहां  उन्होंने गठबंधन और कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दे दिया। इस दौरान राजभर लगातार बीजेपी पर हमलावर रहे। हालांकि, चुनाव होने तक बीजेपी ने राजभर के किसी भी हमले पर कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिग 19 मई को आखिरी चरण का मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल में एनडीए की पूर्ण बहुमत की सरकार बनती दिखी। जिसके बाद योगी सरकार ने राजभर को कैबिनेट से बर्खास्त करने का फैसला किया। ऐसा कहा जा रहा है कि राजभर को कोई प्रतिक्रिया न देना, बीजेपी की एक रणनीती थी। असल में बीजेपी चुनाव संपन्न होने का इंतजार कर रही थी।