Lok Sabha Election 2024: आगामी लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव को बदायूं सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है. उनके प्रत्याशी बनाए जाने के बाद मीडिया में उनके नाराज होने की अटकलें थीं. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि वह सपा के फैसले से नाराज हैं. लेकिन अब पूरे मामले पर शिवपाल यादव का बयान आया है.
सपा नेता और बदायूं सीट से प्रत्याशी शिवपाल यादव ने खुद भतीजे अखिलेश यादव के फैसले को समर्थन देने का मन बना लिया है. इसका एलान उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया के पोस्ट के जरिए किया है और कहा कि वो इस क्षेत्र में जनसंपर्क के लिए जुट गए हैं. वो आज से बदायूं पहुंच रहे हैं जहां वो बेटे आदित्य के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.
शिवपाल यादव ने कही ये बात
चाचा शिवपाल यादव ने एक्स पर लिखा, 'आज से बदायूं लोकसभा क्षेत्र में जनसम्पर्क हेतु यात्रा पर हूं. मेरा इस क्षेत्र से दशकों पुराना आत्मीय रिश्ता है. मन में बदायूं से जुड़े ढेरों किस्से और यादें हैं. शकील बदायूनी साहब के शब्दों में. कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है, रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है.'
शिवपाल यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वो पार्टी के आदेश पर बदायूं जा रहे हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि वो इस सीट को जीतकर वापस आएंगे. वो आज बदायूं जा रहे हैं और आज से जनसंपर्क शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी इस बार मैनपुरी में भी पूरा जोर लगा रही है, लेकिन सपा के सभी प्रत्याशी जीत हासिल करेंगे.
शिवपाल यादव ने दावा किया है कि हम सभी 80 की 80 सीटों पर जीत हासिल करेंगे. बीजेपी को कई सीटों पर प्रत्याशी तक नहीं मिल रहे हैं. वहीं केंद्र सरकार द्वारा CAA लागू करने पर उन्होंने कहा कि बीदेपी के पास कोई और मुद्दा नहीं बचा है.
दरअसल बदायूं सीट सपा का गढ़ रही है. इस सीट से सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव ने भी चुनाव लड़ा था. इसके साथ ही यहां का मुस्लिम और यादव समीकरण सपा के पक्ष में रहा है. अखिलेश यादव ने सपा की पहली सूची में बदायूं से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था, लेकिन बाद में प्रत्याशी बदलते हुए शिवपाल यादव को टिकट दे दिया गया.
बेटे आदित्य ने संभाला था मोर्चा
बदायूं से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद शिवपाल यादव यहां कई दिनों से चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंचे थे, खबरों के मुताबिक वो बीमार चल रहे थे, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी. उनकी तबीयत खराब रहने के चलते बदायूं में बेटे आदित्य यादव ने मोर्चा संभाल रखा था. आदित्य यादव पहले ही बदायूं पहुंच गए थे, जिसके बाद से वो लगातार पार्टी के संगठन और कार्यकर्ताओं से साथ आगे की रणनीति बनाने में जुटे हुए थे.