Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक-एक कदम बड़ा सोच समझकर रख रहे हैं. सपा अध्यक्ष ने पुरानी गलतियों को न दोहराते हुए अपने प्रत्याशियों का चयन में जातीय समीकरणों को साधने की पूरी कोशिश की है. उन्होंने ऐसे उम्मीदवारों का चयन किया है जिससे ध्रुवीकरण का संदेश भी न जाए.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस चुनाव में एमवाई (M-मुस्लिम, Y-यादव) समीकरण की जगह लगातार पीडीए यानी पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यकों की बात करते हुए आगे बढ़ रही है. सपा उम्मीदवारों की सूची में भी इसकी झलक साफ दिखाई दे रही है. यही वजह है कि इस बार अखिलेश यादव ने मुस्लिम और यादव को तवज्जो देने के बजाय पिछड़ों और दलितों को साधने भी कोशिश की है.
अखिलेश यादव ने बदली रणनीति
यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से 17 सीटें सपा ने सहयोगी दल कांग्रेस और 1 भदोही सीट टीएमसी नेता ललितेशपति त्रिपाठी को दी है. सपा ने 62 उम्मीदवारों में से अब तक 57 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं. इनमें मुस्लिम और यादवों से ज़्यादा इस बार कुर्मी, मौर्य, शाक्य, कुशवाहा और सैनी समाज को भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गई है.
सपा के घोषित प्रत्याशियों में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. इसके अलावा 9 सामान्य वर्ग, 15 अनुसूचित जाति व जनजाति और 29 उम्मीदवार पिछड़े वर्ग से है. पिछड़े वर्ग में ज्यादातर प्रत्याशी कुर्मी, कुशवाह, मौर्य और सैनी समाज से हैं. इस लिस्ट में अखिलेश यादव ने पीडीए का पूरा ख़्याल रखने की कोशिश की है.
समाजवादी पार्टी पर अक्सर यादव और मुस्लिम समाज के तुष्टिकरण का आरोप लगता रहा है. विरोधी दल भी इस मुद्दे पर सपा को घेरते रहते हैं ऐसे में अखिलेश यादव ने इस बार ये गलती नहीं दोहराई है.
बता दें कि इससे पहले अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अखिलेश यादव पर पीडीए की अनदेखी का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि सपा बात तो पीडीए की करती है लेकिन जब प्रतिनिधित्व देने की बात आती है तो उन्हें भूल जाती है. पल्लवी पटेल के इस बयान के बाद सपा और अपना दल में दूरियां बढ़ गईं थीं.