UP Lok Sabha Election 2024: अरुण गोविल ने किया था कांग्रेस का प्रचार,आई रिकॉर्ड भीड़, फिर भी हार गया उम्मीदवार
Arun Govil Meerut: साल 1988 में इलाहाबाद लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव की है. साल 1984 के आम चुनाव में इलाहाबाद सीट से मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन सांसद चुने गए थे.
Arun Govil News: रामानंद सागर के चर्चित टीवी सीरियल रामायण के राम अरुण गोविल देश में हो रहे लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर मेरठ से चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि रामायण सीरियल के साथ ही बीजेपी के भी राम अरुण गोविल अपनी लोकप्रियता के दौर में कांग्रेस पार्टी का भी प्रचार कर चुके हैं. उन्होंने संगम नगरी प्रयागराज में छत्तीस साल पहले कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शास्त्री के समर्थन में जनसभा की थी. महज ढाई घंटे में आयोजित की गई अरुण गोविल की जनसभा में ऐतिहासिक भीड़ उमड़ी.
जनसभा वाले पार्क के चारों तरफ आधा किलोमीटर के दायरे में सिर्फ लोग ही लोग नजर आ रहे थे. अरुण गोविल ने हाथ जोड़कर लोगों से कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने की अपील भी की, लेकिन जबरदस्त प्यार और सम्मान देने के बावजूद इलाहाबाद के वोटरों ने अरुण गोविल की अपील को कबूल नहीं किया और उस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील शास्त्री को करारी हार का सामना करना पड़ा.
जय सियाराम के नारे भी लगवाए
अरुण गोविल की इस सभा में सैकड़ो की तादाद में महिलाएं हाथ में पूजा और आरती की थाली लेकर आई थी. भीड़ से गदगद तत्कालीन कांग्रेस विधायक ने मंच से ही लोगों से जय सियाराम के नारे भी लगवाए थे.
बात 1988 में इलाहाबाद लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव की है. 1984 के आम चुनाव में इलाहाबाद सीट से मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन सांसद चुने गए थे. 1987 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अमिताभ बच्चन पर बोफोर्स तोप घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाकर बगावत कर दी. अमिताभ बच्चन को इस्तीफा देना पड़ा. जून 1988 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ.
कांग्रेस के बागी विश्वनाथ प्रताप सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे. कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे सुनील शास्त्री को उम्मीदवार बनाया था.
गुपचुप तरीके से अरुण गोविल इलाहाबाद पहुंचे
मतदान से महज दस दिन पहले तत्कालीन कांग्रेस नेता सीताराम केसरी और जितेंद्र सिंह गुपचुप तरीके से अरुण गोविल के साथ इलाहाबाद पहुंचे. उस वक्त रामायण सीरियल की लोकप्रियता बुलंदी पर थी. रामायण सीरियल के राम से हर शख्स का भावनात्मक लगाव हो चुका था. बहरहाल तीनों सिविल लाइंस इलाके के क्लाइव रोड स्थित उसी बंगले में रुके, जहां अमिताभ बच्चन बचपन में अपने परिवार के साथ किराए पर रहते थे.
सीताराम केसरी और जितेंद्र सिंह ने दोपहर करीब सवा दो बजे पार्टी के स्थानीय विधायकों और दूसरे प्रमुख नेताओं को बुलाया और शहर के पीड़ी टंडन पार्क में शाम पांच बजे यानी सिर्फ ढाई घंटे के बाद जनसभा आयोजित करने को कहा. ज्यादातर नेताओं ने इतने कम समय में जनसभा कर सकने को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष श्याम कृष्ण पांडेय को जिम्मेदारी दी गई. उन्हें ही सभा का संयोजक बनाया गया.
40 चुनाव कार्यालयों के जरिए लोगों तक संदेश पहुंचा
श्याम कृष्ण पांडेय ने कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शास्त्री के शहर में बनाए गए 40 चुनाव कार्यालयों के जरिए लोगों तक संदेश पहुंचा दिया. अरुण गोविल जब मंच पर पहुंचे तो पीडी टंडन पार्क खचाखच भरा हुआ था. कहीं भी तिल रखने तक की जगह नहीं थी. पार्क के चारों तरफ जाने वाले रास्ते पर भी आधा किलोमीटर दूर तक लोगों का हुजूम मौजूद था.
लोग भगवान राम का किरदार निभाने वाले अपने चाहते कलाकार अरुण गोविल की एक झलक पाने को बेकरार थे. तकरीबन एक हजार की संख्या में महिलाएं पूजा और आरती की थाली साथ लेकर आई थी. ये महिलाएं रामायण के राम के प्रति अपनी आस्था प्रकट करना चाहती थी. हालांकि सुरक्षा इंतजामो के चलते कोई भी मंच तक नहीं पहुंच सका. इस जनसभा में अरुण गोविल ने 12 से 13 मिनट तक भाषण किया. उन्होंने अपने भाषण में कई बार हाथ जोड़कर लोगों से कांग्रेस उम्मीदवार सुनील शास्त्री को वोट देने की अपील की.
मंच पर मौजूद तमाम कांग्रेसी नेता ही असहज हो गए...
सभा के संयोजक श्याम कृष्ण पांडेय के मुताबिक अरुण गोविल के बोलने के बाद तत्कालीन कांग्रेस विधायक अशोक वाजपेई ने मंच से ही जय सियाराम के नारे लगवाए. हालांकि इस नारे से मंच पर मौजूद तमाम कांग्रेसी नेता ही असहज हो गए, लेकिन उस वक्त भीड़ को देखकर ऐसा लगा कि टीवी के राम की अपील से कांग्रेस का काम हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. नतीजे घोषित हुए तो निर्दलीय उम्मीदवार विश्वनाथ प्रताप सिंह दो लाख से ज्यादा वोट पाकर विजयी घोषित हुए, जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील शास्त्री एक लाख वोट भी नहीं हासिल कर सके और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस नेता श्याम कृष्ण पांडेय के मुताबिक अरुण गोविल कांग्रेस का प्रचार करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर आए थे. उनके मुताबिक उस वक्त राजीव गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी में शामिल होने और राज्यसभा भेजने का ऑफर भी दिया था, लेकिन अरुण गोविल ने एक्टिंग को ही अपना करियर बनाने की बात कह कर कांग्रेस पार्टी का यह ऑफर ठुकरा दिया था.
श्याम कृष्ण पांडेय का कहना है कि 36 सालों बाद अरुण गोविल चुनाव मैदान में है. ऐसे में कहा नहीं जा सकता कि चुनावी लंका का संग्राम वह जीत पाएंगे या फिर कलयुग में उन्हें हार का सामना करना पड़ेगा.