Lok Sabha Election 2024: यूपी की रामपुर लोकसभा सीट को सियासत की धुरी माना जाता है. कभी आजम खान का दुर्ग कहे जाने वाली इस सीट पर बीजेपी ने उपचुनाव में कब्जा कर लिया है. इस सीट पर 50 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम हैं. यहां से 12 बार मुस्लिम चेहरे चुनकर संसद पहुंचे हैं.


2019 में इस सीट से सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान चुनाव जीते थे. हालांकि सजा होने पर उनकी सदस्यता चली गई थी. 2022 के उपचुनाव में बीजेपी ने आजम खान के परिवार से यह सीट छीन ली थी. उपचुनाव में यहां बीजेपी के घनश्याम लोधी जीते थे और सांसद बने थे. बीजेपी ने फिर उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाया है. सपा-कांग्रेस गठबंधन ने इस बार यादव परिवार के तेज प्रताप यादव को खड़ा किया है.


पहली बार कौन बना सांसद
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि रामपुर लोकसभा सीट पर 1952 में पहली बार मौलाना अबुल कलाम आजाद सांसद बने थे. वह देश के पहले शिक्षा मंत्री भी बने थे. अब तक रामपुर लोकसभा सीट पर 18 चुनाव हुए हैं, जिसमें कांग्रेस ने सर्वाधिक 10 बार जीत दर्ज की है. रामपुर लोकसभा सीट से चार बार भाजपा ने बाजी मारी है. इसके अलावा तीन बार सपा ने जीत का स्वाद चखा है. एक बार जनता पार्टी के खाते में सीट गई है.


बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी की घोषणा के बाद लोगों की निगाहें समाजवादी पार्टी पर टिकी हैं. बीएसपी ने यहां पर अभी तक खाता नहीं खोल पाई है, इस बार पार्टी ने जीशान खान को अपना चेहरा बनाया है. सपा रामपुर लोकसभा सीट से मुस्लिम और हिंदू प्रत्याशी के फेर में उलझी नजर आ रही है.


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नहीं दिख रहे दावेदार
रामपुर के रहने वाले कादिर का कहना है कि यहां की सियासत में अभी कोई दावेदार दिख नहीं रहा है. आजम खान के जेल जाने के बाद उनका परिवार राजनीति में उतना सक्रिय नहीं है. अगर वह बाहर आ जाते हैं तो चुनाव का रुख बदल सकते हैं. चमरौआ के करीम का कहना है कि राजनीति में आपसी लड़ाई में रामपुर को काफी नुकसान हुआ है. जो मिलना चाहिए, वो नहीं मिल सका है. सरकार राशन दे रही है. 


वह कहते हैं कि यहां पर रोजगार की दरकार अभी भी है. स्वार के रहने वाले रमेश कहते हैं कि राशन भी मिल रही है और गुंडागर्दी भी रुकी है. बस, रोजगार के लिए सरकार को काम करना पड़ेगा. दशकों से रामपुर की राजनीति को कवर करने वाले वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विपिन शर्मा कहते हैं कि मुस्लिम बाहुल्य रामपुर लोकसभा सीट पर आजादी से लेकर अब तक के रिकॉर्ड को देखें तो यहां सामान्य और उप चुनाव दोनों मिलाकर 18 बार इलेक्शन हुआ है.


10 बार जीती कांग्रेस
वह बताते हैं कि 18 चुनाव में से 10 बार कांग्रेस जीती है. जबकि चार बार बीजेपी, तीन बार सपा और एक बार जनता पार्टी ने परचम फहराया है. 2019 के चुनाव में सपा-बीएसपी का गठबंधन था. इस बार सपा-कांग्रेस का गठबंधन है. यह सीट गठबंधन में सपा के पास है. हालांकि आजम खान के नहीं होने से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने भतीजे तेज प्रताप यादव को नया चेहरा बनाया है. 


यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और इंडिया गठबंधन के बीच होना है. बेशक, वर्तमान में बीजेपी के पास सीट है. लेकिन, आजम खान का गढ़ और कांग्रेस के गठबंधन के चलते यहां बीजेपी का कमल खिलना आसान नहीं माना जा रहा है. चुनावी आंकड़ों पर गौर करें तो रामपुर सीट मुस्लिम बाहुल्य है. अब तक के रिकॉर्ड पर गौर किया जाए तो भले ही सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने सीट जीती हो, लेकिन चार बार बीजेपी ने भी बाजी मारी है. भाजपा की नजर मुस्लिम वोटरों पर भी है. इस सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित होंगे.