(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election 2024: 'अमेठी जीतना होता तो अपने चपरासी को टिकट नहीं देते'- BJP प्रत्याशी दिनेश सिंह
Lok Sabha Elections 2024: दिनेश सिंह ने कहा, राहुल गांधी अमेठी छोड़कर भाग आए हैं. वो कभी वहां वोट मांगने नहीं जाएंगे. वहां भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने परिवार की तरह अमेठी को सजाया है.
Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने यूपी की अमेठी लोकसभा सीट को छोड़कर रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है जिसे लेकर रायबरेली से बीजेपी उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने उन पर निशाना साधा और कहा कि कहा कि अगर राहुल गांधी अमेठी सीट को जीतना चाहते तो अपने चपरासी को टिकट नहीं देते. स्मृति ईरानी ने अमेठी को सजाया और संवारा है. अब वो ही अमेठी का हिस्सा हैं.
बीजेपी उम्मीदवार दिनेश सिंह ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कहा, "क्या सही में राहुल गांधी अमेठी और रायबरेली जीतना चाहते हैं?... मुझे नहीं लगता कि वे(राहुल गांधी) अमेठी जीतना चाहते हैं. अगर उन्हें अमेठी को जीतना होते तो क्या वो अपने चपरासी को टिकट देते. उन्होंने किसे टिकट दिया है क्या वो जीतने के लिए दिया है. मुझे तो नहीं लगता कि वो अमेठी जीतना चाहते हैं.
दिनेश सिंह ने राहुल गांधी पर साधा निशाना
दिनेश सिंह ने कहा, राहुल गांधी अमेठी छोड़कर भाग आए हैं. वो कभी वहां वोट मांगने नहीं जाएंगे, जितना मैं उम्मीद करता हूं. वहां पर भाजपा नेता स्मृति ईरानी हैं जिन्होंने परिवार की तरह अमेठी को सजाया है, संवारा है, इज्जत दी है, प्यार दिया है. अमेठी और रायबरेली में जनता के बीच एक रस्सा होता था. जब ये लोग(गांधी परिवार) आते थे तो ये रस्सा बांध दिया जाता था. इस तरफ जनता होती थी और बीच में हाथ हिलाते हुए गांधी परिवार के लोग होते थे.
आज अमेठी-रायबरेली में प्यार मिल रहा है. भाई बहन के रिश्ते दिए जा रहे हैं. लोग इस प्यार का सदियों से इंतजार कर रहे थे. ये पहली बार अनुभव कर रहे हैं तो परिवार का हिस्सा स्मृति ईरानी है. दिनेश सिंह है. राहुल गांधी नहीं है. दिनेश सिंह ने कहा कि अगर सोनिया गांधी के लिए रायबरेली कर्मभूमि थी तो वो राजस्थान क्यों चली गईं. अगर अस्वस्थ थी तो रायबरेली क्यों छोड़ा और पूरे राजस्थान के लोकसभा की जिम्मेदारी ले ली. ये हास्यास्पद है.
भाजपा नेता ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, "जो पोता अपने दादा का नहीं हो सकता, दादा को दादा नहीं मानते. फिरोज गांधी के कब्र पर आज तक फूल नहीं चढ़ाया राहुल गांधी ने. ये चुनावी दादा, चुनावी दादी यही चलता है."
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