Lok Sabha Election 2024: देश में अगले कुछ दिनों के अंतर लोकसभा चुनाव का एलान हो जाएगा. इस चुनाव के एलान से पहले बीजेपी ने इस बार 'मिशन-400' का लक्ष्य रखा है. पार्टी ने लोकसभा सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में क्लीन स्वीप करने का लक्ष्य भी रखा है. यानी बीजेपी अपने पुराने रिकॉर्ड को तोड़ना चाहती है. बीते दो लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी ने अपना पूरा करिश्मा दिखाया है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने को 'मोदी मैजीक' फायदा मिला. पार्टी ने अपने हर पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया और उम्मीद से बढ़ कर चुनाव में सफलता मिली. तब पार्टी ने राज्य 80 सीटों में से 73 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस केवल अपने गढ़ अमेठी और रायबरेली जीती थी. जबकि समाजवादी पार्टी से भी अखिलेश यादव के परिवार के लोग ही चुनाव जीत सके थे.
इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ तो बीजेपी को रोकने के लिए विपक्ष में बीएसपी और सपा साथ आ गए. यूपी की इन दोनों बड़ी पार्टियों को आरएलडी का भी साथ मिला. इस बार सभी मान रहे थे कि बीजेपी पुराना करिश्मा नहीं दोहरा पाएगी. लेकिन चुनाव के रिजल्ट आए तो फिर सब चौंक गए. बीजेपी ने इस महागठबंधन के साथ सामने 80 में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
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इस मिशन के भरोसे बीजेपी
बीते दो चुनाव बीजेपी के लिए मोदी मैजीक और करिश्मे वाले चुनाव रहे हैं. बीजेपी की रणनीति और चुनाव लड़ने की शैली का हर दल और राजनीतिक के जानकारों ने लोहा माना है. लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस के रिकॉर्ड को उत्तर प्रदेश में बीजेपी तोड़ने में नाकाम रही है. जिसके बाद बीजेपी की उम्मीद अब केवल 'मिशन-400' भरोसे चल रही है.
दरअसल, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 में लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कांग्रेस ने 514 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और 404 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बाद में पार्टी ने 10 और सीटों पर जीत दर्ज की तो लोकसभा में कांग्रेस के कुल 414 सांसद हो गए.
हर करिश्मा रहा फेल
लेकिन खास बात ये रही कि इस चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में जो रिकॉर्ड बनाया उसे बीजेपी का करिश्मा और मोदी मैजीक भी नहीं तोड़ पाया है. तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति की उस लहर में कांग्रेस ने राज्य की 85 लोकसभा सीटों में से 83 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उस वक्त उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था और राज्य में लोकसभा की कुल 85 सीटें थीं.
यानी अभी भी बीजेपी को कांग्रेस के उस 40 साल पुराने इतिहास को दोहराने या कहें की तोड़ने की के लिए अपनी रणनीति का धार देने की जरूरत है. पार्टी हर स्तर पर 'मिशन-80' के तहत काम कर रही है. लेकिन ये तो आने वाले कुछ महीनों के अंदर ही स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी की रणनीति कांग्रेस के उस पुराने इतिहास को दोहरा पाती है या नहीं.