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UP Politics: यूपी में बीजेपी के 'मिशन 80' के लिए क्यों जरूरी है पूर्वांचल? जानें- क्या कहता है यहां का समीकरण

UP Politics: पूर्वांचल में बीजेपी के लिए गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ जैसे जिले में चुनौती मिल सकती है. यहां के जातीय समीकरण के चलते बीजेपी कमजोर स्थिति में है.

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने बड़े स्तर पर तैयारियां करना शुरू कर दिया है. जहां एक तरफ बीजेपी प्रदेशभर में महाजनसंपर्क अभियान चला रही है तो वहीं दूसरी तरफ टिफिन बैठकों के जरिए भी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा जा रहा है. बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस यूपी पर है क्योंकि यहां से लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें आती हैं. पार्टी ने इस बार सभी 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है. इस सब के बीच यूपी का पूर्वांचल इलाका काफी अहम हो जाता है, लेकिन पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां पार्टी को मशक्कत करनी पड़ सकती है. 

बीजेपी के लिए पूर्वांचल का इलाका इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि यहां से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों ही आते हैं. इसके अलावा मोदी सरकार के तीन मंत्री और योगी सरकार में 13 अन्य मंत्री भी पूर्वांचल से ही आते हैं. बावजूद इसके यहां की राजनीति पर जाति का खासा प्रभाव देखा जाता है. 2019 लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो यहां से प्रधानमंत्री होने के बावजूद बीजेपी को यहां काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था. बीजेपी को गाजीपुर, घोसी समेत कई सीटें गंवानी पड़ी जहां पर 2014 के चुनाव में पार्टी को जीत मिली थी. 

बीजेपी के लिए क्यों अहम है पूर्वांचल

पूर्वांचल में बीजेपी के लिए गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ जैसे जिले में चुनौती मिल सकती है. यहां के जातीय समीकरण के चलते बीजेपी कमजोर स्थिति में है. 2017 के चुनाव में एनडीए का स्ट्राइक रेट 81 फीसदी था, जबकि पूर्वांचल में 77 फीसदी था, वहीं 2022 विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए का स्ट्राइक रेट 68 फीसदी रहा जो वहीं पूर्वांचल में घटकर 59 फीसद पर चला गया. 2022 में पूर्वांचल के 3 जिलों में बीजेपी का खाता तक नहीं खुल पाया था. वहीं 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो पूर्वांचल की आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर,घोसी और जौनपुर बीजेपी हार गई, जबकि 2014 में इन सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी. 

जानें क्या कहते हैं आंकड़े

पूर्वांचल में  21 जिले हैं और 26 लोकसभा सीटें आती हैं. इस इलाके में 130 विधानसभा सीटें हैं. इस इलाके में यूपी की 6.37 करोड़ (2011 की जनगणना) आबादी रहती है जो कुल आबादी का 32% है. पूर्वांचल के जिन इलाकों में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा या फिर विधानसभा में खाता खोलना तक मुश्किल हो गया वो है आजमगढ़, जहां की 10 विधानसभा सीटों पर बीजेपी हार गई, इसके अलावा गाजीपुर की 7 सीटें, कौशाम्बी की 3 सीटें बीजेपी हारी. खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए. बस्ती में 5 सीटें, मऊ में 4 सीटें तो वहीं बलिया जिले की 7 में से 5 सीटों पर बीजेपी हारी दो पर जीत मिली, जौनपुर की 9 में से 4 सीटों पर बीजेपी जीती.

पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 को लेकर बात की जाए तो 2014 में बीजेपी को यहां से 23 सीटों पर जीत हासिल हुई थी वहीं उनकी सहयोगी अपना दल दो सीटों पर जीती. इस तरह एनडीए ने 26 में से 25 सीटों पर फतह हासिल की, जबकि एक सीट पर सपा को जीत मिली. 2019 में बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका असर इस इलाके में देखने को मिला. बीजेपी को यहां 4 सीटों का घाटा हुआ और 19 पर जीत मिली अपना दल को दो सीटें मिली वहीं बसपा जो जीरो को बढ़कर 4 सीटों पर जीत हासिल हुई.

पूर्वांचल में विकास कार्य पर जोर 

इन तमाम बातों को देखते हुए बीजेपी लगातार पूर्वांचल में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है. यही वजह है कि अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं का दौरा होता है. यहां कई विकास योजनाएं भी शुरू की गईं. इनमें वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर, रुद्राक्ष केंद्र, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्धाटन, मेडिकल कालेज का शिलान्यास, सिद्धार्थनगर समेत पूर्वांचल के 7 जिलों में मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन, आजमगढ़ में स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास जैसी योजनाओं पर काम किया गया, जिससे पूर्वांचल का विकास हुआ है. 

पूर्वांचल का इलाका यूपी के पिछड़े इलाकों में आता है. ये पूरी भोजपुरी बेल्ट है यहां ज्यादातर किसानी होती है. पूर्वांचल ने देश को 5 प्रधानमंत्री दिए हैं, जिनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं. ये इलाता अति पिछड़ी जातियों वाला इलाका है जहां राजभर, निषाद और चौहान जातियां निर्णायक स्थिति में हैं. पूर्व पीएम चंद्रशेखर के 23 साल बाद 2014 में पूर्वांचल ने देश को पीएम दिया तो वहीं 29 साल बाद वीर बहादुर सिंह के बाद 2017 में पूर्वांचल से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बने. 

बीजेपी और राजभर के बीच हो सकता है गठबंधन

बीजेपी जानती है कि लोकसभा चुनाव का लक्ष्य पूरा करने के लिए पूर्वांचल में खुद को मजबूत करना बेहद अहम है. यही वजह कि बीजेपी का फोकस इस क्षेत्र पर है. एक तरफ जहां इस क्षेत्र में अपना दल एस और निषाद पार्टी जैसे दलों के साथ उसका गठबंधन हैं तो वहीं ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा पर भी बीजेपी की नजर है. चर्चा है कि जल्द ही दोनों बीजेपी राजभर के साथ गठबंधन कर सकती है. 

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