UP News: उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले उठ रही जाति आधारित गणना की मांग को देखते हुए बीजेपी ने प्रदेश स्तर पर एक कमेटी बनाने का फैसला लिया है. जिसमें जिलेवार किस पिछड़ी जाति के चेहरे को चुनाव लड़ाना है इस पर मंथन होगा. पिछले चुनाव के आंकड़ों के हिसाब से तीन नाम छांटकर केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा जाएगा और उसमें से एक नाम लोकसभा का चुनाव लड़ेगा.
बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े आने के बाद उत्तर प्रदेश समेत अलग-अलग प्रदेशों में और केंद्रीय राजनीति में विपक्षी दलों ने जाति आधारित गणना की मांग उठानी शुरू कर दी है. भारतीय जनता पार्टी जाति आधारित गणना के पक्ष में नहीं है, लेकिन जाति आधारित गणना का सबसे अधिक फायदा पाने वाले ओबीसी तबके को रिझाने में बीजेपी लग गई है. कल दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ यूपी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद ओबीसी तबके को अधिक फोकस करने के साथ-साथ उनका अधिक टिकट देने पर सहमति बनी है.
35 से 40 ओबीसी प्रत्याशी को मिल सकता है मौका
दिल्ली में कल गुरुवार को हुई बैठक में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत ओबीसी वर्ग के तमाम नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में 2019 के मुकाबले पिछड़ों को ज्यादा टिकट देने और उनको अधिक भागीदारी देने पर सहमति बनी है. आपको बता दें कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने 28 ओबीसी प्रत्याशी उतारे थे, सूत्रों की माने तो इस बार यह संख्या 35 से 40 के बीच में हो सकती है.
दीपावली के बाद होगा पिछड़ों का महाकुंभ
बैठक में नेताओं ने यह भी तय किया कि 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह सभी जिलों में पिछड़ों की अलग-अलग जातियों के सम्मेलन भी किए जाएं और किसी एक जिले में पिछड़ों का महाकुंभ किया जाए. ये सम्मेलन दीपावली के बाद शुरू होंगे, जिसमें पिछड़े वर्ग के अलग-अलग तबके से जुड़े हुए लोगों के लिए अलग-अलग रैलियां होंगी. इन कार्यक्रमों को करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक कमेटी बनाई जाएगी यह कमेटी भाजपा की ओर से कराए गए सर्वे के हिसाब से तय करेगी कि किस लोकसभा में किस पिछड़ी जाति के चेहरे को चुनाव लड़वाया जा सकता है और किसको प्रत्याशी बनाया जा सकता है.
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