UP Politics: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार उन सीटों पर मेहनत करती दिख रही है जो 2019 में नहीं जीत पाई थी. इन्हीं में से एक सीट आजमगढ़ (Azamgarh) की है. हालांकि इस सीट को बीजेपी ने पिछले साल हुए उपचुनाव में जीत तो लिया था लेकिन जीत का अंतर बहुत कम था, जिसकी वजह से पार्टी को लगता है कि 2024 में इस सीट के लिए भी बीजेपी को दूसरी हारी हुई सीटों की तरह ही मेहनत करनी पड़ेगी. यही वजह है कि पार्टी आजमगढ़ को लेकर लगातार सियासी समीकरण साधने में लगी है.


इसी को देखते हुए फरवरी महीने में ही पार्टी ने आजमगढ़ में दो बड़े कार्यक्रम किए. सीएम योगी ने प्रदेश की सभी विधानसभाओं में रोजगार मेले लगाने के निर्देश दिए थे और इसकी जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को सौंपी है. वैसे तो ये रोजगार मेले प्रदेश की 403 विधानसभाओं में होने हैं, लेकिन इनकी शुरुआत 3 फरवरी को आजमगढ़ की दीदारगंज विधानसभा से की गई, जिसमें खुद कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर मौजूद रहे. इसके बाद आजमगढ़ में ही महाराजा सुहेलदेव राजभर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इसमें भी राजभर खुद मौजूद रहे, यानी रोजगार मेलों के जरिए राजभर समाज को भाजपा के साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.


समझें- आजमगढ़ का सियासी समीकरण


आजमगढ़ के सियासी समीकरण को देखें तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा यहां एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी मानी जाती है कि विधानसभा चुनाव में सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर ने सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा सपा को मिला और भाजपा को नुकसान हुआ. अब भले ही ओपी राजभर सपा के साथ ना हो, लेकिन बीजेपी अपनी तरफ से कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती. इसीलिए आजमगढ़ में राजभर वोटर को साथ लाने में जुटी है.


आज़मगढ़ में दो लोकसभा सीट आती हैं. आज़मगढ़ और लालगंज. इसमें से लालगंज सीट फिलहाल बसपा के पास है. आजमगढ़ लोकसभा सीट में मेंहनगर, आजमगढ़ सदर, मुबारकपुर, सगड़ी और गोपालपुर विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें मेहनगर में राजभर वोटर निर्णायक भूमिका में है जबकि बाकी 4 सीटों पर भी कुछ राजभर वोटर हैं. इसी तरह लालगंज लोकसभा में लालगंज, दीदारगंज, फूलपुर पवई, अतरौलिया और निज़ामाबाद विधानसभा सीट आती है. इसमें लालगंज और दीदारगंज में राजभर निर्णायक भूमिका में है जबकि अन्य 3 सीट पर भी राजभर वोटर की कुछ संख्या है. 


आजमगढ़ में अगर भाजपा सियासी समीकरण साध लेती है तो उसका फायदा गाजीपुर और जौनपुर में भी मिलना तय है. मेहनगर विधानसभा गाजीपुर बॉर्डर से जुड़ी है तो दीदारगंज और लालगंज विधानसभा जौनपुर से जुड़े हैं. कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के अनुसार आज़मगढ़ सीट पर राजभर वोटर की संख्या 2.25 लाख से अधिक जबकि लालगंज लोकसभा में करीब 3 लाख राजभर वोटर है.


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