UP Lok Sabha Chunav 2024: आगामी लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी अलग-अलग सीटों पर अपनी रणनीति बनाने में लग गई है. पिछले दिनों ही बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बनाए गए आकाश आनंद (Akash Anand) और बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा (Satish Chandra Mishra) के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल (Vishwanath Pal) जैसे बड़े चेहरों के लिए पार्टी नेतृत्व सीटों की तलाश में लग गई है. पार्टी के लोगों का मानना है कि बड़े चेहरों को लड़ाकर पार्टी अपने कैडर में एक मैसेज देना चाहती है.

 

बहुजन समाज पार्टी में इस वक्त नए प्रयोग करने पर विचार किया जा रहा है. बसपा के सूत्रों के माने तो पार्टी बड़े चेहरों को अलग-अलग सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. इसमें सबसे पहले मंथन बिजनौर सीट को लेकर के चल रहा है, जहां 1989 में पहली बार मायावती चुनाव लड़कर लोकसभा में पहुंची थी. इसी सीट पर इस बार बसपा आकाश आनंद को लड़ाने का मन बना रही है. समीकरण के मुताबिक सीट पर दलित और मुस्लिम वोटर बहुतायत में है, जिसके सहारे बसपा को यहां जीत की उम्मीद है.

 

 बड़े नेताओं को चुनाव लड़ा सकती है बसपा

बहुजन समाज पार्टी पिछले लंबे समय तक अपने मजबूत गढ़ रहे अंबेडकर नगर में भी उपयुक्त व्यक्ति को लड़ाना चाहती है. इस सीट पर पुराने मजबूत बसपाई अब भले पार्टी छोड़कर जा चुके हैं लेकिन बसपा को लगता है कि इस सीट पर वह जीत इस बार फिर से दर्ज कर सकती है. वहीं कानपुर या अकबरपुर सीट पर पार्टी के ब्राह्मण चेहरे सतीश चंद्र मिश्र को लड़ाने पर भी पार्टी का मंथन है. पार्टी अपने प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल के लिए भी अवध से लेकर पूर्वांचल तक की किसी सीट पर मंथन कर रही है, हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनाव लड़ने या ना लड़ने पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है. पार्टी सूत्रों का कहना है इसपर अंतिम मोहर मायावती खुद लगाएंगी. 

 

बहुजन समाज पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बाद लोकसभा में 10 सीटें जीती थी लेकिन इस बार बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है. बसपा नेताओं को लगता है कि अपने बड़े नेताओं को लड़ा कर छोटे कार्यकर्ताओं में एक जोश भरने का काम किया जाएगा. यूपी में लंबे समय से बसपा का ग्राफ लगातार गिर रहा है. 2007 में उत्तर प्रदेश में सरकार बनने के बाद 2012 में बहुजन समाज पार्टी की सीटें कम हुई, तो वहीं 2014 में बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा चुनाव में शून्य सीटों के साथ समझौता करना पड़ा.

 

साल 2019 में 10 सीटें जीतकर पार्टी का मनोबल बढ़ा पर वहीं 2022 में फिर से एक विधायक के साथ पार्टी समझौता कर रही है. इसी कड़ी में पार्टी अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए बड़े नेताओं को भी फील्ड में उतार कर उनके अंदर जोश भर के उनको अलग-अलग सीटों से लड़ाएगी.