UP News: कांग्रेस ने केन्‍द्र तथा राज्‍य सरकार के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग का समर्थन करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि कर्मचारियों के हितों की लगातार अनदेखी कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार उन्‍हें राहत देने के पक्ष में नहीं है. कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष बृजलाल खाबरी ने यहां एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर केंद्र व राज्य कर्मचारियों द्वारा किये जा रहे आंदोलन का पूरी तरह समर्थन करती है. उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक सुरक्षा के अधिकार के तहत जीवन यापन का एकमात्र सहारा है; अत: कांग्रेस की मांग है कि इसे अविलंब बहाल किया जाए. 


खाबरी ने कहा कि कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर लगातार सड़क से सदन तक संघर्ष किया है. राजस्थान, छत्तीसगढ और हिमाचल प्रदेश के चुनाव जीतने के तुरन्त बाद पार्टी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत देने का कार्य किया. उन्होंने सवाल किया कि अगर कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमांचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो सकती है तो केन्द्र सरकार और उत्तर प्रदेश सहित बीजेपी शासित प्रदेशों में क्यों नहीं? 


खाबरी ने कहा कि विगत 21 मार्च को पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली के लिए सैकड़ों विभागों एवं संगठनों के कर्मचारियों ने कड़ी धूप और गर्मी के बीच हर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया लेकिन जनविरोधी बीजेपी सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार कर्मचारियों के हितों की अनदेखी कर रही है, वह उन्हें राहत देने के पक्ष में नहीं है जबकि कर्मचारियों की मांग है कि जिस प्रकार से कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़, एवं हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाल की गई है उसी प्रकार यहां भी यह बहाल की जाए.


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और उनके हितों की विरोधी साबित हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारे सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार का हनन करने में जुटी हुई है. गौरतलब है कि केन्‍द्र तथा राज्‍य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिये ‘पुरानी पेंशन योजना बहाली संयुक्‍त मंच’ के बैनर तले लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इस आंदोलन के तहत प्रदेश के 55 जिलों में पेंशन रथयात्रा निकाली जा चुकी है. कर्मचारी नेता आगामी लोकसभा चुनाव में भी पुरानी पेंशन योजना को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.


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