Kanpur News: लोकसभा चुनावों के लिए सपा और कांग्रेस का मंथन कर रही है. वहीं कानपुर में कांग्रेस की घर घर जाकर कर्नाटक मॉडल बताने की तैयारी है और सपा को निकाय चुनावों का अपना प्रदर्शन बरकरार रखने की चिंता है. बीजेपी से पहले सपा-कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरह से रिझाने की रणनीति  बना रहे हैं. निकाय चुनाव के नतीजों में कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी को आखिरकार हार किस लिए मिली इसका मंथन किया जा रहा है. कांग्रेस पार्टी हार के बाद ऐसी स्थिति लोकसभा चुनाव में ना बने इसके लिए कानपुर में विशेष फोकस करते हुए कर्नाटक मॉडल को लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. 


वहीं समाजवादी पार्टी दूसरे नंबर पर आकर उत्साहित तो है लेकिन चिंता की बात यह है कि ढाई लाख से ज्यादा मत मिलने के बावजूद उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में दोनों ही दल एक-दूसरे को पीछे करके और बीजेपी की रणनीति को फेल करके नंबर वन बनने की जुगत में रणनीति बनाने में लगे हुए हैं.


निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस की समीक्षा बैठक में कानपुर पर विशेष फोकस किया गया है. कांग्रेस हमेशा से यहां पर लड़ाई में रहती आई है लेकिन इस बार यहां कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई. कांग्रेस आलाकमान का पूरा ध्यान अब इस पर टिक गया है कि कहीं ऐसा 2024 के लोकसभा चुनावों में न हो जाए. इसके लिए पार्टी आलाकमान ने मुस्लिम मतदाताओं को लेकर एक निष्कर्ष निकाला है. पार्टी का मानना है कि कानपुर में मुस्लिम मतदाता ने सपा के प्रत्याशी को जिताऊ समझा और वोट दिया लेकिन वो हार गया. ऐसे में कानपुर में कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को "कर्नाटक मॉडल" के रूप रंग दिखाकर, घर घर जाकर अपने पाले में लाने जा रही है. कानपुर में कांग्रेस के कर्नाटक मॉडल प्लान की चर्चा खूब हो रही है. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी की माने तो कार्यकर्ताओं को सक्रिय करते हुए कर्नाटक की जीत की कहानी घर घर में बताई जाएगी और अपने खोए हुए मतदाताओं को घर वापस लाने पर पूरा जोर लगाया जा रहा है.


निकाय चुनावों में हार के बाद सपा ने की समीक्षा बैठक


वहीं समाजवादी पार्टी की स्थानीय इकाई ने निकाय चुनावों में हार के बाद समीक्षा बैठक की. समाजवादी पार्टी के नेताओं के गले से अभी भी हार नीचे नहीं उतर रही. सपा नेताओं की चिंता ये है कि एक तरफ तो उनका प्रत्याशी बहुत मजबूत कहा जा रहा था और दूसरी तरफ उसकी हार 1 लाख 77 हजार से ज्यादा वोटों से हुई. जो साल 2017 में कांग्रेस की हार से करीब 72 हजार वोट से ज्यादा है. ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता बुदबुदा रहे हैं कि जब सबसे मजबूत प्रत्याशी को उतारने और मुस्लिम मतों के पार्टी के पक्ष में एक तरफा गोलबंदी के बाद ये हाल हुआ तो साल 2024 के लोकसभा चुनावों में क्या होगा? वहीं सपा की चिंता बीजेपी को रोकने के साथ साथ मुस्लिम मतों को अपने पक्ष में बनाए रखने पर है. 


10 संसदीय सीटों पर गहन मंथन


सपा और कांग्रेस की रणनीति के बीच भारतीय जनता पार्टी कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाली 10 संसदीय सीटों पर गहन मंथन कर रही है. खबर यह भी है कि 5 सीटों कानपुर, अकबरपुर, मिश्रिख, कन्नौज और फतेहपुर पर पार्टी अपने मंत्रियों को उतार सकती है यह वह सीटें हैं जहां गुटबाजी काफी ज्यादा हावी है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अपनी-अपनी रणनीति 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बनाने में जुट गई है.


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