Lok Sabha Election 2024: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद सेन यादव को मैदान में उतारकर उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश कर रही है.1989 में अरविंद सेन यादव के पिता मित्रसेन यादव के राजनीतिक करियर की शुरुआत भी फैजाबाद से हुई थी. मित्रसेन यादव ने उस समय सीपीआई से यह सीट जीती थी. जब 1989 में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था.
मित्रसेन यादव ने 1998 में उन्होंने एसपी के टिकट पर यह सीट जीती और 2004 में उन्होंने बीएसपी के टिकट पर दोबारा सीट जीती. अरविंद सेन यादव ऐसे समय में अपनी किस्मत आजमाएंगे जब राम मंदिर के उद्घाटन से देश में उत्साह का माहौल है.पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, अरविंद सेन वर्तमान में निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से जुड़ने में व्यस्त हैं. सीपीआई की केंद्रीय समिति के सदस्य अयूब अली खान ने कहा हम मित्रसेन के बेटे को मैदान में उतारकर उनकी विरासत को फिर से खोजना चाहते हैं, जिसमें मंदिर शहर अयोध्या भी शामिल है.
अरविंद सेन अपनी विरासत बढ़ाने को तैयार
फैजाबाद संसदीय क्षेत्र में स्वतंत्रता-पूर्व युग से ही कम्युनिस्ट आंदोलन का एक समृद्ध इतिहास रहा है. अरविंद सेन ने कहा कि वह चुनाव लड़ने और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, मैं राजनीति को एक नई दिशा देना चाहता हूं, जो धर्म और जातिवाद से मुक्त हो. फैजाबाद में ब्राह्मणों और ठाकुरों के अलावा दलित, मुस्लिम और ओबीसी की बड़ी मौजूदगी विभिन्न पार्टियों के लिए अहम है. इनमें से गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित नतीजे तय कर सकते हैं.
अनुसूचित जाति के एक उप-संप्रदाय पासी, एसपी से खुश नहीं हैं और उनका आरोप है कि अरविंद सेन एक पासी लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले (बाद में बरी हो गए) में शामिल थे. हालांकि उन्हें कोर्ट से क्लीन चिट मिली थी.पासी (गैर-जाटव एससी) के साथ, गैर-यादव ओबीसी परिणाम तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. भाजपा को भगवान राम के निर्वाचन क्षेत्र में अपनी जीत का भरोसा है और उसके मौजूदा सांसद लल्लू सिंह अपना हिंदू फर्स्ट कार्ड पूरे विश्वास के साथ खेल रहे हैं.
ये भी पढ़ें: मुख्तार अंसारी का निकला जनाजा, सहतवा बाग मैदान के पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम