Lok Sabha Election 2024: देश में इस वक्त चाचा और भतीजे की सियासी लड़ाई काफी चर्चा का विषय बनी हुई है. लोकसभा चुनाव से पहले अब यह लड़ाई उत्तर प्रदेश के बाहर बिहार और महाराष्ट्र पहुंच चुकी है. हालांकि इस जड़ें यूपी से ही जुड़ी हैं. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच की सियासी जंग किसी से छीपी नहीं है. 2022 से पहले सात सालों तक दोनों के बीच जमकर जुबानी तीर चले थे.


दरअसल, इस वक्त चाचा और भतीजे के बीच की सियासी जंग पूरे देश की राजनीति में छाप छोड़ रही है. लेकिन इसी शुरूआत उत्तर प्रदेश से हुई थी. तब मुलायम सिंह यादव ने अपनी राजनीकित विरासत को बेटे अखिलेश यादव को सौंप दी थी. इसके बाद पार्टी में अखिलेश यादव के बढ़ते दखल की वजह से चाचा शिवपाल यादव नाराज हुई. कई बार खुले मंच से दोनों ने एक दुसरे पर जमकर जुबानी हमले किए. 


एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा चुनाव
बाद में दोनों के बीच बात ऐसी बिगड़ी की शिवपाल यादव ने अलग पार्टी बना ली. उन्होंने प्रसपा का गठन किया और सपा के खिलाफ चुनाव लड़ा. राजनीतिक के जानकार ऐसा दावा करते हैं कि शिवपाल यादव कुछ वक्त तक बीजेपी के संपर्क में भी रहे थे. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव को अपनी राजनीति विरासत बचाने के लिए एक साथ चुनौती का सामना करना पड़ा तो दोनों के तेवर नरम पड़ गए. 


फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा और प्रसपा का गठबंधन हुआ. हालांकि मन और दिल भले ही न मिला हो लेकिन जरूरत और वक्त ने दोनों को एक मंच पर खड़ा कर दिया. चुनाव में हार के बाद दोनों के बीच फिर से राह हुई. लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन ने दोनों के बीच की दूरी को खत्म कर दिया. मैनपुरी उपचुनाव में दोनों ने डिंपल यादव के लिए साथ प्रचार किया और जीत के बाद प्रसपा का सपा में विलय हो गया. 


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पवार परिवार में सियासी जंग
लेकिन अब चाचा और भतीजे के बीच की सियासी जंग यूपी के बाहर पहुंच चुकी है. पहले महाराष्ट्र में शरद पवार की सियासत को उनके भतीजे अजित पवार ने चुनौती दी और दूसरी ओर बिहार में भी ऐसी ही तस्वीर बनी हुई है. शरद पवार से अलग होकर अजित पवार ने एनसीपी के विधायकों को तोड़ा और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ सरकार में आ गए. वह अभी राज्य में डिप्टी सीएम हैं और उनके पास वित्त विभाग की जिम्मेदारी भी है. 


अब लोकसभा चुनाव में एक बार फिर पवार के बीच सियासी जंग देखने को मिल सकती है. राज्य में बारामती सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रीय सुले का चुनाव लड़ना लगभग तय है. वह बारामती से ही सांसद भी हैं. लेकिन दूसरी ओर उनको अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के इसी सीट पर चुनाव लड़ने की चर्चा है. यानी परिवार के बीच की सियासी जंग फिर एक बार देखने को मिलेगी.


बिहार में सियासी लड़ाई
इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके परिवार की सियासी जंग भी किसी से छीपी नहीं है. रामविलास पासवान के भाई पशुपति नाथ पारस ने उनके बेटे चिराग पासवान को पार्टी से बाहर किया था. पार्टी के सभी सांसद भी पशुपति कुमार पारस के साथ चले गए. फिर वह केंद्रीय मंत्री बने और पार्टी को लेकर चाचा भतीजे के बीच सियासी जंग चली. 


हालांकि अब इस सियासी जंग में चिराग पासवान हावी होते नजर आ रहे हैं. सोमवार को बिहार में एनडीए के दलों में सीट शेयरिंग का एलान हुआ तो चिराग पासवान के गुट को पांच सीटें मिली और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के गुट को एक भी सीट नहीं मिली. जिसके बाद फिर से सियासी अटकलों को हवा मिल रही है. लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि यूपी से शुरू हुई चाचा-भतीजे की सियासी जंग अब पूरे देश में पहुंच चुकी है.