UP Politics: उत्तर प्रदेश के इटावा में भारतीय जनता पार्टी के सांसद राम शंकर कठेरिया के खिलाफ 12 साल पुराने मामले में फैसला आने के बाद बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ीं हो गईं हैं. एक ओर जहां कठेरिया के संसदीय सदस्यता पर तलवार लटक रही है तो वहीं इटावा में समीकरण भी बदल सकते हैं. हालांकि इससे समाजवादी पार्टी की राह आसान नहीं होगी. दोनों ही दलों के लिए इटावा में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. दोनों ही दलों के लिए इस सीट पर लड़ाई प्रतिष्ठा का सवाल होगी.


कठेरिया के खिलाफ फैसला आने के बाद इटावा की बीजेपी इकाई के अध्यक्ष ने दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव भी मौजूदा सांसद ही लड़ेंगे.संजीव राजपूत ने कहा कि इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा. फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेंगे.


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सपा का गढ़ रहा है इटावा
दीगर है कि इटावा को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है हालांकि साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने यहां से बाजी मारी थी. साल 2014 के चुनाव में जहां अशोक दोहरे ने यहां से जीत दर्ज की थी. वहीं साल 2019 के चुनाव में प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया ने सपा की उम्मीदवार कमलेश कठेरिया को मात दी थी.


अगर सजा के बाद कठेरिया की सदस्यता चली जाती है और वह अयोग्य ठहाराए जाते हैं तो पार्टी की ओर से चुनाव लड़ने के लिए दूसरे नामों की चर्चा शुरू हो सकती है. हिन्दी अखबार दैनिक जागरण के अनुसार  ऐसी परिस्थिति में इटावा लोकसभा सीट के लिए भरथना से विधायक रहीं सावित्री कठेरिया या सिद्धार्थ शंकर दोहरे का नाम प्रत्याशी के तौर पर आगे बढ़ाया जा सकता है. 


बता दें इटावा से सांसद रामशंकर कठेरिया को एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को दो साल की सजा सुनाई है. पुलिस ने सांसद रामशंकर कठेरिया के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे में आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया था. मुकदमे में गवाही और बहस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को लगभग 11 साल बाद फैसला सुनाया.