UP Politics: मिशन 2024 के लिए मायावती ने बदली रणनीति? अब सपा-कांग्रेस और BJP पर हुईं आक्रामक, जानें क्या है प्लान
UP Politics: बसपा ने यूपी में एकला चलो की रणनीति का एलान किया है. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से मायावती बीजेपी और तमाम विपक्षी दलों पर बेहद आक्रामक नजर आ रही है, इसके पीछे एक बड़ी रणनीति है.
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है. एक तरफ जहां बीजेपी यूपी में मिशन 80 के तहत पार्टी संगठन को और मजबूत करने में जुटी हैं तो वहीं दूसरी तरफ विरोधी दलों की आज पटना में एक महाबैठक है, जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार होगी. इस बैठक में सपा, कांग्रेस समेत कई बड़े राजनीतिक दल एक साथ एक मंच पर आने की तैयारी कर रहे हैं, इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती एक अलग रणनीति के साथ नजर आ रही है.
बसपा ने यूपी में एकला चलो की रणनीति का एलान किया है. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से मायावती बीजेपी और तमाम विपक्षी दलों पर बेहद आक्रामक नजर आ रही है. चाहे वो बीजेपी शासित सरकारों की नीतियां हो या फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्ष की महाबैठक हो. राजनीतिक जानकर मायावती के इस रुख को 2024 से पहले बसपा की बदली हुई रणनीति मानकर चल रहे हैं.
मायावती क्यों हुई आक्रामक?
दरअसल बसपा पर अक्सर ये आरोप लगता है कि वो चुनावों में बीजेपी की बी पार्टी बनकर काम कर रही है. 2022 के विधानसभा चुनाव हों या फिर निकाय चुनाव बसपा की रणनीति से सपा को नुकसान हुआ और बीजेपा का फायदा, यही वजह है कि बसपा अब बीजेपी पर भी तीखे हमले करने से पीछे नहीं हट रही है ताकि वो खुद को बीजेपी की बी पार्टी होने के आरोपों से दूर कर सके और पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बना सके. बसपा सुप्रीमो बीजेपी शासित राज्यों की नीतियों पर भी खुलकर बोल रही हैं ताकि वो मुस्लिमों की साहनुभूति ले सकें.
2024 को लेकर बदली रणनीति
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो मायावती मुस्लिमों को साधने के लिए आक्रामक हुईं हैं, जिसकी वजह से मुस्लिमों के मुद्दे पर वो बीजेपी को आड़े हाथों लेने से भी परहेज नहीं कर रही वहीं सपा को मुस्लिमों का मसीहा दिखाने की कोशिशों पर भी निशाना साध रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक को भी कांग्रेस और सपा की कवायद को दलितों के हित में नाटक करार दिया है. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जब तक बाबा साहेब अंबेडकर का समतामूलक संविधान लागू नहीं हो जाता तब तक दलितों का हित नहीं होने वाला है.
पिछले कुछ चुनावों में बसपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. बीजेपी ने बसपा के दलित वोटबैंक में जबरदस्त सेंधमारी में कामयाबी हासिल की है. साल 2007 में जहां बसपा का वोटबैंक 30.43 था जो घटकर 2022 में सिर्फ 12.88 ही रह गया है. मायावती को इस बात का भी डर है कि कही उनके वोटबैंक में विपक्षी दल भी सेंध न लगा लें. यही वजह है कि वो अब तमाम मुद्दों को लेकर सभी राजनीतिक दलों पर हमलावर हैं. दलितों के मुद्दों पर भी वो खुलकर बोल रही है ताकि वो ये साबित कर सकें कि दलित की सच्ची हितैषी बसपा ही है.
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