UP Politics: बीजेपी का 'MY' समीकरण 2024 में अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी चुनौती, जानें कैसे?
Lok Sabha Elections: समाजवादी पार्टी 2024 में अपने एम-वाई (मुस्लिम-यादव) आधार को मजबूत करने और बीजेपी के एम-वाई (मोदी-योगी) को चुनौती देने की कोशिश कर रही है.
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Lok Sabha Election 2024: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आजमगढ़ में कहा कि यूपी में सपा और गठबंधन मिलकर 80 की 80 सीटें लड़ेगा. अभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मैनपुरी में जो हार देखी है उसका आकलन नहीं कर पाए हैं. अखिलेश यादव का ये बयान 2024 के लिहाज काफी अहम है. 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने आजमगढ़ से ही जीत हासिल की थी. हालांकि उनके इस्तीफे के बाद यह सीट अब बीजेपी के कब्जे में चली गई है.
समाजवादी पार्टी अपने संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन और शिवपाल सिंह यादव के साथ तालमेल के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है. 2022 उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा है और पार्टी अब अपनी रणनीति पर फिर से काम कर रही है.
अखिलेश यादव के लिए मोदी-योगी सबसे बड़ी चुनौती
सपा 2024 में अपने एम-वाई (मुस्लिम-यादव) आधार को मजबूत करने और बीजेपी के एम-वाई (मोदी-योगी) को चुनौती देने की कोशिश कर रही है. यही पार्टी के लिए राज्य में सबसे बड़ी चुनौती है. 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद यूपी में समाजवादी पार्टी ने अपने तीन सहयोगियों सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी), महान दल और जनवादी पार्टी को खो दिया है, लेकिन सपा ने शिवपाल को लाकर नुकसान की भरपाई कर ली है.
शिवपाल यादव अपने संगठनात्मक कौशल और पार्टी कार्यकर्ताओं को लामबंद करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. मौका मिलने पर वह 2024 के चुनावों के लिए पार्टी को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. सपा के पाले में उनकी वापसी से पार्टी के यादव वोट आधार में विभाजन को भी रोका जा सकेगा. अखिलेश आम चुनाव के लिए राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत करने के अलावा आजाद समाज पार्टी (भीम आर्मी) जैसी छोटी पार्टियों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे.
बीजेपी के पास एक संगठनात्मक मशीनरी है
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने अपना वोट प्रतिशत बढ़ाया और अपनी सीटों को दोगुना किया है, लेकिन अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बीजेपी के पास एक संगठनात्मक मशीनरी है, जहां सपा का अभी तक कोई मुकाबला नहीं है. इसके अलावा अखिलेश एक व्यक्ति की सेना का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि भाजपा के पास कई नेता हैं जो चुनावों के दौरान पूरे राज्य में भ्रमण करते हैं.
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