Lok Sabha Election 2024 Phase 7: लोकसभा चुनाव के आख़िरी सातवें चरण में उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर वोटिंग होने जा रही है. इस चरण में ज्यादातर ऐसी सीटें शामिल हैं, जिन पर ओबीसी मतदाता खासी तादाद में हैं. इनमें ज्यादातर गैर यादव ओबीसी जातियां शामिल हैं जैसे राजभर, कुशवाहा, कुर्मी, बिंद, सोनकर, निषाद और चौहानों का प्रभाव देखने को मिलता है. ऐसे में एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने पूरा जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है. 


पूर्वांचल की इन 13 सीटों पर एनडीए और इंडिया के उम्मीदवारों पर नजर डाली जाए तो यहां के जातीय समीकरण का असर इस पर भी देखने को मिलेगा. दोनों मे गैर यादव ओबीसी जातियों के उम्मीदवारों को खुलकर टिकट दिया है. ताकि वो इसके जरिए विरोधी खेमे पर बढ़त दर्ज कर सकें. बसपा की लिस्ट में भी इन जातियों के उम्मीदवारों की भरमार है. 


गैर ओबीसी जातियों पर दांव
सातवें चरण में तीन सीटें तो ऐसी हैं जहां पर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने गैर यादव ओबीसी जातियों पर दांव लगाया है. इनमें कुर्मी, बिंद, राजभर और कुशवाहा जैसी जातियां शामिल हैं. एनडीए में मिर्जापुर सीट अपना दल सोनेलाल के खाते में हैं और यहां केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं जो कुर्मी जाति से आती है, उनका मुक़ाबला सपा के रमेश बिंद हैं. 


इस तरह यूपी की महाराजगंज सीट पर बीजेपी के पंकज चौधरी और सपा-कांग्रेस गठबंधन से वीरेंद्र चौधरी मैदान में हैं. सलेमपुर में भी बीजेपी के रवींद्र कुशवाहा और सपा के रमाशंकर राजभर के बीच मुकाबला है. इसी तरह घोसी लोकसभा सीट पर एनडीए की ओर से अरविंद राजभर मैदान में हैं जो सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे हैं तो वही गोरखपुर में काजल निषाद और कुशीनगर से पिंटू सैंथवार पर दांव लगाया है. 


इन सब के अलावा वाराणसी लोकसभा सीट सबसे अहम हो जाती है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी उन्हें पिछड़ों के सबसे बड़े नेता के तौर पर पेश करती है. इस तरह आखिरी चरण पक्ष-विपक्ष ने यहाँ के जातीय समीकरण को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.