UP Politics: वरुण गांधी पर बदल रहा रुख! समीकरण पड़ा भारी, BJP से कई दावेदारों के ठंडे पड़े तेवर
Lok Sabha Election 2024: बीजेपी सांसद वरुण गांधी पार्टी लाइन से अलग बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में रहे, जिसके बाद उनके टिकट कटने के कयास लग रहे थे लेकिन अब तस्वीर बदलती दिख रही है.
Lok Sabha Election 2024 Pilibhit: पीलीभीत बहेड़ी लोकसभा सीट जिसे वरुण गांधी और मेनका गांधी का गढ़ भी कहा जाता है. यहां से 40 सालों से मेनका गांधी सियासत करती आई है. वो 6 बार और उनके बेटे वरुण गांधी मौजूदा समय से भाजपा से दूसरी बार सांसद है. इस बार वरुण गांधी का टिकट कटने की चर्चा हो रही थी, लेकिन अब उन्हें लेकर बीजेपी नेताओं के सुर बदले नजर आ रहे हैं.
बीजेपी सांसद वरुण गांधी पार्टी लाइन से अलग बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में रहे, जिसके बाद उनके इस बार टिकट कटने के कयास लग रहे थे लेकिन अब हालात बदले दिख रहे हैं. वरुण हाल में पीएम मोदी के रेलवे डेवलपमेंट कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने पीएम की तारीफ भी की, इन दिनों बीजेपी नेताओं का भी उनके प्रति रुख नरम हो गया है.
वरुण गांधी को लेकर बदले बीजेपी के सुर
वरुण गांधी से दूरी बनाने वाले बीजेपी के जिलाध्यक्ष समेत कई बड़े नेता फिर उनके साथ दिख रहे हैं. यही नहीं सदर सीट से विधायक और संजय सिंह गंगवार के तेवर भी ठंडे हो गए हैं. पिछले दिनों उनके जन्मदिन पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कमल के फूल के साथ उनका जन्मदिन मनाया. सूत्रों के मुताबिक, इस क्षेत्र में वरुण-मेनका गांधी की जबरदस्त पकड़ है, जिसकी वजह से उनके आगे किसी भाजपाई की नहीं चली.
पीलीभीत में मेनका गांधी हो या वरुण गांधी, दोनों ने यहां भाजपा को मजबूती दी है. कई स्थानीय नेताओं को उन्होंने आगे बढ़ाया. इनमें पूरनपुर विधायक बाबू राम पासवान, बरखेड़ा से पूर्व विधायक किशनलाल राजपूत व मौजूदा विधायक जयद्रथ, समेत सदर सीट से विधायक व मंत्री संजय सिंह गंगवार प्रमुख नाम है. बीजेपी जानती है कि अगर यहां से टिकट बदला तो गड़बड़ हो सकती है.
पीलीभीत का जातीय समीकरण
पीलीभीत के सियासी समीकरण की अगर बात की जाए तो यहां 5 विधानसभा बहेड़ी, पीलीभीत, बीसलपुर, बरखेड़ा, पूरनपुर आती है जहां कुल 18 लाख मतदाता है. इनमें सवा दो लाख कुर्मी, 4.30 लाख मुस्लिम, 1.7 लाख ब्राह्मण, 1 लाख सिख और चार लाख दलित वोटर आते हैं. इनमें बांग्लादेश से आए शरणार्थियों भी शामिल हैं. इन सभी समुदायों पर मेनका गांधी की अच्छी पकड़ है.
ऐसे में वरुण-मेनका के खिलाफ दूसरे चेहरे को उतारना बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है. पीलीभीत में बीजेपी से 33 लोगों ने दावेदारी पेश की है. इनमें लोध राजपूत समाज से मंत्री हेमराज वर्मा समेत बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रवक्तानंद, पूर्व विधायक किशनलाल राजपूत और संजय सिंह गंगवार का नाम शामिल है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी यहां चेहरा बदल पाती है या फिर वरुण गांधी को मैदान में उतारेगी.
मेनका गांधी ने 1996 में पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद चुनी गई, इसके बाद वे 2009 तक लगातार यहां से सांसद रहीं. साल 2004 में मेनका गांधी ने 2.55 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. 2009 में बीजेपी ने वरुण गांधी को मैदान में उतारा और उन्हें 4.19 लाख वोट मिले. 2014 में मेनका गांधी एक बार फिर से यहां से सांसद बनी. 2019 में वरुण गांधी को फिर यहां से उतारा गया और उन्होंने जीत हासिल की. इस सीट पर उन्हें 7.40 लाख वोट मिले.
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