Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी का बुलंदशहर दौरा आज, DFCCIL का होगा शुभारंभ, जानिए क्या है तैयारी
UP Politics: कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और गौतम बुद्ध नगर को, हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात और रेवाड़ी से और राजस्थान के अलवर से जोड़ता है.
UP News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जनवरी को बुलंदशहर में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) के ईस्टर्न कॉरिडोर के 181 किमी लाइन का शुभारंभ करेंगे. प्रधानमंत्री न्यू खुर्जा स्टेशन से मालगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे. कॉरिडोर का यह हिस्सा बुलंदशहर के न्यू खुर्जा से हरियाणा के न्यू रेवाड़ी स्टेशन के बीच है.
इनमें ग्रेनो के न्यू बोड़ाकी और न्यू दादरी स्टेशन भी शामिल हैं. न्यू खुर्जा से न्यू रेवाड़ी के बीच कॉरिडोर के कुल छह स्टेशन हैं. इनमें ग्रेटर नोएडा के न्यू बोड़ाकी व न्यू दादरी स्टेशन भी हैं. इनके अलावा न्यू फरीदाबाद, न्यू पृथला, न्यू तावडू और धारूहेड़ा स्टेशन भी शामिल हैं. खुर्जा से बोड़ाकी के बीच दूरी 46 किमी और दादरी से रेवाड़ी स्टेशन की दूरी 135 किमी की है. कॉरिडोर पर डबल डेकर ट्रेन चलती है, जो 100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकती है.
ये हैं छह DFC स्टेशन
इस डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की लंबाई 173 किमी है. जो की पूरी तरह विद्युतीकृत डबल लाइन सेक्शन है. इस परियोजना का खर्च 10,141 करोड़ रुपए है. इस डीएफसी स्टेशन में मार्ग पर छह स्टेशन शामिल हैं, जिनमें न्यू बोरकी, न्यू दादरी, न्यू फरीदाबाद, न्यू-पृथला, न्यू ताउरू, और न्यू धारूहेड़ा शामिल हैं. यह कॉरिडोर अद्वितीय इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदहारण है. इस सेक्शन में हाई राइज ओह से विद्युतीकृत एक किलोमीटर लंबी डबल-लाइन रेल सुरंग दुनिया में अपनी तरह की पहली सुरंग है. इस सुरंग को डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनों को निर्बाध रूप से संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
सोहना में 2.76 किमी वायाडक्ट का निर्माण जमीनी स्तर से 25 मीटर की ऊंचाई पर किया गया है. इससे डीएफसी ट्रैक के दोनों तरफ सोहना शहर में आवागमन बाधित नहीं होगा. इस खंड में 3 नदी पुल, 3 रेल फ्लाईओवर, 24 प्रमुख पुल, 79 छोटे पुल, 16 रोड ओवरब्रिज (आरओबी), 32 प्रमुख रोड अंडरब्रिज (आरयूबी), 17 रोड अंडरब्रिज (लघु) और 8 फुट ओवरब्रिज (एफओबी) हैं. यह खंड 4.54 किमी लंबे रेल फ्लाईओवर (आरएफओ) के माध्यम से डीएफसी को दादरी में भारतीय रेल से जोड़ता है और इसके साथ ही यह पलवल के पास असावटी में भी डीएफसी को भारतीय रेल से जोड़ता है.
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इन जिलों को जोड़ने की तैयारी
यह महत्वपूर्ण कॉरिडोर विभिन्न भू-भागों से होता हुआ, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर और गौतम बुद्ध नगर को, हरियाणा के फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम, मेवात और रेवाड़ी से और राजस्थान के अलवर से जोड़ता है. इस सेक्शन पर 100 किमी/घंटे की गति से चलने वाली मालवाहन ट्रेनें भारतीय रेलवे नेटवर्क में यात्री ट्रेनों की समयनिष्ठता में काफी सुधार कर रही हैं. डीएफसी ट्रैक पर मालवाहन ट्रेनों को चलाने से खुर्जा से रेवाड़ी के बीच परिचालन समय में उल्लेखनीय कमी हो रही है, जिससे गाजियाबाद और दिल्ली क्षेत्र की रेल कंजेस्शन में कमी आ रही है.
इससे लॉजिस्टिक्स में सुधार के साथ-साथ, एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण में भी कमी हो रही है. डीएफसी के माध्यम से पश्चिमी बंदरगाहों से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र तक डबल स्टेक वाली लम्बी मालगाड़ियां एक सकारात्मक बदलाव ला रही हैं, जिससे आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. डीएफसी ट्रैक पर मालगाड़ियों के रणनीतिक रूटिंग के कारण खुर्जा और रेवाड़ी के बीच परिचालन समय में 20 घंटे तक की उल्लेखनीय कमी आई है. मालगाड़ियों के गाजियाबाद और दिल्ली के भीड़भाड़ वाले एनसीआर क्षेत्र के बाहर से निकलने के कारण कंजेशन में भी सुधार हुआ है.
मील का पत्थर हो रहा साबित
डीएफसीसीआईएल का यह खंड न केवल लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करता है, बल्कि, ट्रकों की आवाजाही की संख्या को कम करके एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को भी काफी हद तक कम करता है. इस महत्वपूर्ण खंड का परिचालन सीमेंट, पत्थर, दूध डेयरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान और पार्सल यातायात सहित कंटेनर और आयात-निर्यात के लिए एक कुशल परिवहन नेटवर्क स्थापित करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है. यह पूर्वी हिस्से से कोयले और इस्पात की निर्बाध आवाजाही और देश के पूर्वी हिस्से में खाद्यान्न, उर्वरक के परिवहन की सुविधा प्रदान करता है.
पारगमन समय में कमी और मालगाड़ी की तेज गति से भारत में रसद लागत में कमी आएगी. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) के माध्यम से पश्चिमी बंदरगाहों के साथ पूर्वी भारत को जोड़ने के कारण "मेक इन इंडिया" नीति को बल मिल रहा है. यह सुगम व्यापार और वाणिज्य के लिए एक सुव्यवस्थित इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करता है. यह कॉरिडोर गौतम बुद्ध नगर, फ़रीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम और ताउरु जैसे प्रमुख शहरों में औद्योगिक विकास के अवसरों को बढ़ावा देता है. यह आर्थिक विकास के साथ ही इन शहरों को वाणिज्य, व्यापार और विनिर्माण के केंद्रों में बदल सकता है. मालगाड़ियों को 100 किमी प्रति घंटे तक की गति से परिचालित करने की क्षमता है.