(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election 2024: काजल निषाद को लोकसभा का टिकट मिलने से सपा में घमासान, गोरखपुर से इस नेता का छलका दर्द
Lok Sabha Election UP: समाजवादी पार्टी की लोकसभा उम्मीदवारों की पहली सूची में काजल निषाद का नाम भी शामिल है. गोरखपुर से काजल निषाद को उम्मीदवार बनाए जाने पर सपा में घमासान मच गया है.
UP Lok Sabha Election 2024: काजल निषाद को लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने से सपा में घमासान मच गया है. लोकसभा प्रत्याशियों की पहली सूची में काजल निषाद का नाम है. सपा ने काजल निषाद को गोरखपुर सदर सीट से मैदान में उतारा है. सपा के कर्मठ कार्यकर्ताओं ने फैसले पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि सपा के शकुनि भीतर से बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. बार-बार काजल निषाद को टिकट क्यों दिए जा रहे हैं. पुराने नेताओं ने शीर्ष नेतृत्व से सर्वे कराकर फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने काजल निषाद को कैंपियरगंज से प्रत्याशी घोषित किया था. 2022 के विधानसभा चुनाव में काजल निषाद को हार का सामना करना पड़ा.
काजल निषाद गोरखपुर से प्रत्याशी
सपा ने 2023 के नगर निकाय चुनाव में भी काजल निषाद पर दांव लगाया. नगर निकाय चुनाव में काजल निषाद को एक बार फिर जीत नहीं मिली. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में काजल निषाद को प्रत्याशी बनाए जाने से सपा नेताओं ने नाराजगी जताई है. गोरखपुर के पूर्व जिला अध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी ने अखिलेश यादव से सर्वे कराने की मांग की है. उनका कहना है कि गोरखपुर में सपा के कई बड़े चेहरे हैं. उन्होंने भी गोरखपुर विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति की शुरुआत की है.
समाजवादी पार्टी में मचा घमासान
अधिवक्ता होने के नाते उनकी शहर में अच्छी साख है. नगीना प्रसाद साहनी को उम्मीद है कि सपा उनके नाम पर विचार कर सकती है. उन्होंने खुद को जनता के बीच रहनेवाला नेता बताया. उन्होंने दावा किया कि सपा में कई बड़े नेता भी उन्हें टिकट देने के पक्ष में रहे हैं. नगीना प्रसाद साहनी शीर्ष नेतृत्व के निर्णय का बचाव करते हैं. लेकिन बताते हैं कि लोग सवाल उठा रहे हैं. पूछा जा रहा है कि सपा में कोई बड़ा चेहरा या निषाद समाज का अगुआ नहीं है? पार्टी में एक दो नेता शकुनि का काम कर रहे हैं. नगीना प्रसाद साहनी कहते हैं कि उनके साथ भी साजिश हुई है. 25 वर्षों से लोगों की लड़ाई लड़ने का काम कर रहे हैं. प्रत्याशी लोगों के बीच में रहने वाला और लड़ाई लड़ने वाला होना चाहिए. शक नहीं है कि दल का नुकसान करने वाले एक दो शकुनि पैदा हो गए हैं.
अखिलेश यादव से क्या है मांग?
नगीना प्रसाद आरोप लगाते हुए कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व का कान फूंककर पार्टी का नुकसान करनेवाले लोग शकुनि हो सकते हैं. आने वाले दिनों में पार्टी जरूर हिसाब लेगी. देखना चाहिए कि अभिनेता या अभिनेत्री की कितनी फिल्में आई हैं. नगीना प्रसाद साहनी से बड़ा निषाद का हितैषी नेता कौन हो सकता है? उनका जन्म निषाद परिवार में हुआ. निषादों की लड़ाई के साथ छात्रों की भी लड़ाई मोल ली. नौजवानों, अधिवक्ताओं, मजदूरों, किसानों सबकी लड़ाई मैं बराबरी से लड़ता हूं. निषाद आरक्षण दिलाने के लिए कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे हैं. कोई कहता है कि काजल, निषाद नहीं ब्राह्मण है. नगीना प्रसाद साहनी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से दोबारा सर्वे कराने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की जो मांग को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए.
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