UP Politics: यूपी के ठेठ पश्चिम में लगातार अपने राजनीतिक नल से सियासी जमीन सींच रहे आरएलडी के मुखिया चौधरी जयंत सिंह अब आगरा में सियासी जमीन तलाश रहे हैं. 27 और 28 मई को समरसता कार्यक्रम के जरिए वह आगरा के करीब 15 गांव में नुक्कड़ सभा को संबोधित करेंगे जिसके जरिए जाटों से इतर दूसरी जातियों को जोड़ा जा सकें. मिशन 2024 के मद्देनजर पार्टी जो तैयारियां कर रही है उस पर आरएलडी की नजर आगरा की दोनों सीटों पर है. जिसमें आगरा के साथ ही फतेहपुर-सीकरी लोकसभा क्षेत्र पर है जो जाट बाहुल्य है.
इस सीट पर इस समय बीजेपी के सांसद राजकुमार चाहर हैं जो जाट समाज से आते हैं और बीजेपी के कद्दावर जाट नेता हैं. बीजेपी ने उन्हें किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. ऐसे में आरएलडी की कोशिश है कि परंपरागत जाट वोट बैंक के साथ ही मुस्लिम और बाकी हिंदू जातियों में अगर पार्टी ने ब्रज क्षेत्र में पैठ बना ली तो आगरा में साल 2024 लोकसभा चुनाव में खाता खुल सकता है. जयंत चौधरी मथुरा से सांसद रह चुके हैं और फतेहपुर-सीकरी लोक सभा में आने वाले अछनेरा नगर पालिका से अभी आरएलडी प्रत्याशी विजयी हुई हैं. इससे पहले खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में भी आरएलडी के विधायक जीत चुके हैं. एत्मादपुर विधानसभा भी पहले लोकदल के खाते में रह चुकी है. ऐसे में 15 गांवों में जयंत चौधरी खुद पहुंचेंगे और समरसता सभा के जरिए एक तरह से नफरत पर मोहब्बत की राजनीति का संदेश देंगे.
वहीं आरएलडी के जिला अध्यक्ष महेश जाटव का कहना है हम लगातार अपना सामाजिक दायरा बढ़ा रहे हैं. हमारे नेता जयंत चौधरी हर एक जाति धर्म के लोगों को पार्टी में जोड़ रहे हैं. यही वजह है इस बार विधानसभा चुनाव में 9 सीटें आरएलडी ने जीती हैं और अभी हाल ही में निकाय चुनाव में 28 नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पद पर आरएलडी उम्मीदवार विजयी हुए हैं. इसके लिए बकायदा आरएलडी की तरफ से तैयारियां पूरी हो चुकी हैं जिन गांव में जयंत चौधरी का समरसता कार्यक्रम है उन गांव के नाम हैं.
27 मई को जयंत चौधरी कीठम, कासौटी, अरसेना रैपुरा अहीर, मंगुर्रा, जनूथा और अछनेरा में नुक्कड़ सभा करेंगे तो वहीं 28 मई को इटौरा, जारुआ कटरा, धनौली, खाल खलउआ, मिढ़ाकुर, सुनारी, बमरौली कटारा और कबीस में समरसता कार्यक्रम आयोजित करेंगे. वहीं इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और आगरा सांसद एसपी सिंह बघेल का कहना है इनको अपनी सियासी जमीन के बारे में नहीं पता. वह आगरा में अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं. किस तरह से रालोद केवल पश्चिम के कुछ जिलों तक सीमित है, यह बात आरएलडी मुखिया को भी पता है और चुनावी मौसम में हर कोई अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश करता है. ऐसे मैं जयंत चौधरी भी कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें नाकामी हाथ मिलेगी.