Lok Sabha Election 2024: कैराना लोकसभा सीट पश्चिमी यूपी की सबसे हॉट सीट कही जाती है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले ही जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के सिपाही इस सीट पर आमने-सामने नजर आने लगे हैं. अखिलेश यादव ने ये सीट गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल के लिए छोड़ी है, लेकिन राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के सिंबल पर सपा के नेता को चुनाव लड़ाने की चर्चाओं ने आरएलडी के नेताओं का पारा चढ़ा दिया है.  आरएलडी नेताओं ने एलान किया है कि नल के सिंबल पर समाजवादी पार्टी का नेता कैराना में चुनाव लड़े ये मंजूर नहीं होगा. 


राष्ट्रीय लोक दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अमीर आलम ने कहा है कि समाजवादी का प्रत्याशी आरएलडी के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा तो आरएलडी के कार्यकर्ताओं की इससे बड़ी बेइज्जती हो नहीं सकती है, आरएलडी में नेताओं की कमी नहीं है और अगर नल पर सपा के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया गया तो फिर सोचना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि दूसरे दल का प्रत्याशी यदि नल का पानी पिएगा तो फिर आरएलडी का कार्यकर्ता प्यासा रह जाएगा. जिसने नल लगाया है वही नल का पानी पिएगा तो बेहतर रहेगा. 


आरएलडी नेताओं ने जताई नाराजगी
कैराना लोकसभा सीट पर कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन की बहन इकरा हसन को आरएलडी से चुनाव लड़ाने की चर्चा सियासी गलियारों में गूंज रही है. इकरा हसन का परिवार बड़ा राजनीतिक रसूख रखता है. हालांकि इस मामले पर कोई भी नेता साफ साफ बोलने से बच रहा है, लेकिन चर्चाएं इसलिए भी जोर पकड़ रहीं हैं कि इकरा हसन काफी समय से गांव गांव का दौरा कर रहीं हैं और आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी से भी उनकी मुलाकात हो चुकी है. आरएलडीके नेताओं ने इन्हीं चर्चाओं के आधार पर अपनी नाराजगी जतानी शुरू कर दी है.


2019 में इस सीट पर बीजेपी के प्रदीप चौधरी चुनाव जीते थे और सपा से चुनाव लड़ी तब्बसुम हसन चुनाव हार गई थी. तब्बसुम हसन इकरा हसन की मां हैं. आरएलडी नेता और कार्यकर्ता इस बात की पुरजोर वकालत कर रहें हैं कि गठबंधन में जो भी सात सीट आरएलडी को मिली है, उन सीटों पर उधार का प्रत्याशी चुनाव लड़ाने के बजाय आरएलडी के प्रत्याशी को ही चुनाव लड़ाया जाए. चर्चाएं हैं कि आरएलडी को जो सात सीट मिली हैं, उनमें कुछ सीटों पर आरएलडी के सिंबल नल पर सपा के प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया जा सकता है और यही बात आरएलडीनेताओं को चुभ रही है.


जयंत और अखिलेश की बढ़ सकती है मुश्किलें
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी को बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में बताया जाता है. गठबंधन के दोनों ही मजबूत सारथी हैं, लेकिन कैराना सीट पर दोनों के ही सिपाही आमने सामने दिखाई दे रहें हैं जो दोनों को मुश्किल में डाल सकता है. चुनाव में अभी थोड़ा वक्त है, लेकिन इस बढती तपिश को रोकना भी आसान नहीं होगा. आरएलडी के क्षेत्रीय अध्यक्ष योग्रेन्द्र चेयरमैन ने कहा कि कार्यकर्ताओं की ये भावना है कि जब आरएलडी को सीट मिली है तो फिर आरएलडी से ही प्रत्याशी बनाया जाए.


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