(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election 2024: हर चुनाव में नई नाव की सवारी कर रहे अखिलेश यादव, चुनाव से ठीक पहले फिर बदला फैसला
UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी हर चुनाव में नया प्रयोग कर रही है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चुनाव दर चुनाव प्रयोग की सियासत पर जोर दे रहे हैं.
Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव का एलान कुछ ही घंटों में होने वाला है. चुनाव को लेकर हर पार्टी अपनी रणनीति को अंतिम रुप देने में लगी हुई है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी गठबंधन के खिलाफ इंडिया गठबंधन के दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. राज्य में कांग्रेस कुछ और छोटे दलों को साथ लाने की तैयारी में लगी हुई है. लेकिन कांग्रेस की इन उम्मीदों को अखिलेश यादव ने झटका दिया है.
समाजवादी पार्टी ने शुक्रवार को जब सात उम्मीदवारों की सूची जारी की तो आजाद समाज पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के लिए इंडिया गठबंधन के दरवाजे बंद हो गए. हालांकि कांग्रेस अभी कुछ छोटे दलों को लाने में लगी हुई है. कांग्रेस द्वारा बार-बार मायावती को भी निमंत्रण दिया जा रहा है. लेकिन इन सबके बीच अखिलेश यादव के फैसले से अब सवाल उठने लगा है कि क्या वह हर चुनाव में नई नाव पर सवाल हो जाते हैं.
2017 से शुरू हुआ प्रयोग
दरअसल, इस सवाल के पीछे बीते चार चुनावों के दौरान समाजवादी पार्टी गठबंधन के दलों का हवाला दिया जा रहा है. बीते चार चुनाव में अखिलेश यादव ने हर बार नया प्रयोग किया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. लेकिन पार्टी की ऐतिहासिक हार हुई और केवल 47 सीटें मिली. वहीं कांग्रेस को दहाईं के आंकड़े में पहुंच गई.
चुनाव का रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद ये गठबंधन टूट गया. इसके बाद बीते 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर बीजेपी के खिलाफ बीएसपी और आरएलडी के साथ गठबंधन किया. लेकिन इस गठबंधन से भी पार्टी को कुछ खास हासिल नहीं हुआ. सपा को चुनाव में 5 और बीएसपी को 10 सीटों पर जीत मिली और बीजेपी का करिश्मा फिर से कायम रहा.
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हार से दरार
चुनाव का रिजल्ट आने पर फिर से पुरानी तस्वीर बनी और बीएसपी की राह सपा से अलग हो गई. इसके बाद बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने के लिए अखिलेश यादव ने छोटे दलों का महागठबंधन तैयार किया था. इस बार सपा के साथ आरएलडी, सुभासपा, महान दल, अपना दल कमेरावादी और प्रसपा थी. लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं दिखा.
इस गठबंधन की भी हार हुई, सपा गठबंधन ने चुनाव में 125 सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि सपा की सीटें 2017 के मुकाबले दो गुनी हो गई. इस चुनाव में सपा ने 111 सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन चुनाव में हार से गठबंधन में खटपट बढ़ी और सुभासपा ने पहले अलग होने का फैसला किया. बाद में चाचा शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा भी अलग हुई, हालांकि नेताजी के निधन के बाद मैनपुरी उपचुनाव हुआ और प्रसपा का सपा में विलय हो गया.
उपचुनाव में नया प्रयोग
हालांकि इस दौरान खतौली, रामपुर और मैनपुरी में उपचुनाव हुआ तो भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी अखिलेश यादव साथ मंच पर नजर आए. उन्होंने सपा गठबंधन के लिए वोट भी मांगा और सपा गठबंधन के उम्मीदवारों को दो सीटों पर जीत मिली. इसके बाद कई मौकों पर दोनों साथ दिखे लेकिन अब अखिलेश यादव के फैसले से चंद्रशेखर के लिए गठबंधन के रास्ते बंद हो गए हैं.
लेकिन अब सुभासपा और आरएलडी इस गठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ आ चुके हैं. जबकि अपना दल कमेरावादी की नाराजगी सपा के साथ जगजाहिर है. इन तमाम राजनीतिक घटना क्रम के बीच में अखिलेश यादव ने आगामी चुनाव में कांग्रेस के साथ जाने का मन बना लिया है. कांग्रेस 17 और सपा 63 सीटों पर चुनाव लड़े रही है. सपा ने अपने 37 उम्मीदवारों के नाम का एलान भी कर दिया है.