(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Lok Sabha Election 2024: सपा सांसद को रास नहीं आया अखिलेश यादव का फैसला, कहा- 'मुरादाबाद कभी रामपुर के अधीन नहीं'
UP Lok Sabha Election 2024: पहले चरण का नामांकन खत्म होने के बाद भी समाजवादी पार्टी की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब पार्टी के लिए नई चुनौती उनके अपने ही खड़े करने लगे हैं.
Lok Sabha Election 2024: रामपुर और मुरादाबाद सीट पर नामांकन को लेकर बुधवार को दिनभर भ्रम के हालात के बाद आखिरकार समाजवादी पार्टी ने शाम को रुचि वीरा और मुहिबउल्लाह नदवी को अपना अधिकृत उम्मीदवार बताया. अब सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली भी मुरादाबाद रामपुर टिकट विवाद में कूद गए हैं.
आजम खान का नाम लिए बिना राज्यसभा सांसद जावेद अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा, 'नवाबों के दौर में भी मुरादाबाद कभी रामपुर के अधीन नहीं था. अब है. ' जावेद अली चाहते थे एसटी हसन ही चुनाव लड़ें. पार्टी लाइन के खिलाफ उनके बयान को लेकर काफी चर्चा है. दरअसल, राज्यसभा सांसद को पार्टी के प्रमुख महासचिव राम गोपाल यादव का करीबी माना जाता है.
इसके पहले दोनों ही सीटों पर सपा के दो-दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया. दोनों सीट पर इन उम्मीदवारों ने खुद के अधिकृत होने का दावा किया. लेकिन सपा के राष्ट्रीय सचिव और मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि रामपुर से दिल्ली की एक मस्जिद के इमाम मुहिबउल्लाह नदवी ही सपा के अधिकृत उम्मीदवार हैं जबकि मुरादाबाद से रुचि वीरा ही सपा की प्रत्याशी हैं.
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बीजेपी नेताओं पर आरोप
वहीं रामपुर के जिला अध्यक्ष ने मंगलवार को कहा कि पार्टी की जिला इकाई चाहती थी कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ें, लेकिन अब वह चुनाव का ‘बहिष्कार’ करने पर आमादा हैं. जिला इकाई के अध्यक्ष अजय सागर और जेल में बंद नेता आजम खान के नाम वाले एक बयान में सत्तारूढ़ भाजपा पर चुनाव उल्लंघन और सपा नेताओं के खिलाफ ज्यादती का आरोप लगाया गया था.
हिंदी में लिखे गये पत्र में कहा गया है कि उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र की इन ‘विशेष परिस्थितियों’ के कारण अखिलेश यादव से रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा था. पत्र से अप्रत्यक्ष रूप से संकेत मिलता है कि उन्होंने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. इसमें कहा गया, ‘‘इस माहौल और परिस्थितियों में हम वर्तमान चुनावों का बहिष्कार कर रहे हैं.’’ हालांकि इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले पर केवल पार्टी प्रमुख ही निर्णय ले सकते हैं.