Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव का एलान होने के बाद हर पार्टी अपने सियासी रण को धार देने में लगी हुई है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को चुनौती दे रहा है. इन दोनों ही गठबंधन से अलग मायावती भी राज्य में चुनाव लड़ रही हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश की इसी सियासी जमीन पर बड़े-बड़े दिग्गजों की लोकसभा चुनाव में हार हो चुकी है.


उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार से चार दिग्गज नेता ऐसे हैं जिनको हार का सामना करना पड़ा है. इस लिस्ट में संजय गांधी, शरद यादव, मेनका गांधी, कांशीराम, राहुल गांधी और कुमार विश्वास समेत कुछ और दिग्गज हैं. हम बारी-बारी से उस चुनाव का जिक्र करेंगे जिनमें इन दिग्गजों की हार हुई है. 


संजय गांधी- 1977 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी चुनाव लड़े रहे थे. इस चुनाव में उनका मुकाबला जनता दल के रवींद्र प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया से था. आपातकाल के बाद की कांग्रेस विरोधी लहर में संजय गांधी की हार हुई. रवींद्र प्रताप सिंह ने 75 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. 


राजीव गांधी- संजय गांधी के निधन के बाद जब अमेठी में चुनाव हुआ तो राजीव गांधी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस उपचुनाव में शरद यादव उनके खिलाफ मैदान में थे. सहानुभूति की इस लहर में शरद यादव को केवल 21,188 वोट मिल जबकि राजीव गांधी को 2,58,884 वोट मिले थे. 


मेनका गांधी- 1984 के लोकसभा चुनाव में अपने पति की सियासी जमीन को आगे बढ़ाने का जिम्मा मेनका गांधी ने उठाया था. तब गांधी परिवार से अलग उन्होंने अपने पति संजय गांधी के भाई राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में मेनका गांधी अपने जेठ राजीव गांधी से चुनाव हार गई थीं. मेनका गांधी को 50,163 वोट मिले थे जबकि राजीव गांधी को 3,65,041 वोट मिले थे. 


सतीश शर्मा- राजीव गांधी के निधन के बाद अमेठी में उनका कामकाज देख रहे सतीश शर्मा को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था. इस चुनाव में वह जीत गए. लेकिन इसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी के डॉ. संजय सिंह ने हरा दिया था. तब कैप्टन सतीश शर्मा को 1,81,755 वोट मिले थे और डॉ. संजय सिंह को 2,05,025 वोट मिले थे. 


कांशीराम- 1989 में राजीव गांधी के खिलाफ कांशीराम ने चुनाव लड़ा था. लेकिन वह इस चुनाव में हार गए और कांशीराम को केवल 25,400 वोट मिले थे. जबकि राजीव गांधी को 2,71,407 वोट मिले और वजह चुनाव जीत गए. 


राजमोहन गांधी- महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी भी 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ गए थे. इसी सीट पर कांशीराम भी चुनाव लड़े थे. कांशीराम और राजमोहन गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. राजीव गांधी ने जीत दर्ज की जबकि दूसरे नंबर पर 69,269 वोट पाकर राजमोहन गांधी रहे और कांशीराम तीसरे नंबर पर रहे. 


कुमार विश्वास- अमेठी हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है. इस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से कुमार विश्वास ने चुनाव लड़ा था. यह पहला लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी लड़ रही थी. इस चुनाव में कुमार विश्वास को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. राहुल गांधी को 4,08,651 वोट मिले और वह चुनाव जीते थे. जबकि कुमार विश्वास को 25,277 वोट मिले थे. 


स्मृति ईरानी- अमेठी में 2014 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और कुमार विश्वास के साथ बीजेपी के टिकट पर स्मृति ईरानी चुनाव लड़ी थीं. इस चुनाव में स्मृति ईरानी को 3,00,748 वोट मिले थे. यह चुनाव राहुल गांधी ने करीब एक लाख आठ हजार के अंतर से जीता था.


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